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नौ ऍसे दैनिक गिरिजन से नहीं मिला था पर ज्यादा करना जब भी बात हुई थी तो हर बार वो से अच्छी और बहुत अच्छी लगी थी । गिर जाएगा । बाद करने का तरीका बेहद साहस था । ऍम ऐसी मजाक में उसका अलग अंदाज साफ लगता था । जब भी पहुंचती थी तो दिल खोलकर हसती थी । रहने के काम के दवा को भी उस समझती थी और उसी कोशिश रहती थी इसके आडे ना आए । दैनिक जब कभी गिर जा के साथ जिंदगी के बारे में सोचता था तो अमूमन रोमांचित होता था । मोना ने उनके भी चोट रही चिंगारी को हवा देने की कोशिश की थी । एक बार तो उसने हसते हुए कह डाला था कि वे दोनों एक दूजे के लिए बने हैं । अगर वह हसीन है तो तुम गबरू जवान हो । दोनों प्रोफेशनल हूँ, पक्के इरादे वाले हो और जब साथ नाश्ते हो तो बेहतरीन जोडी देखते हो । और सबसे बडी बात ये है दे नहीं उस ने छेडा था गिजर खाना बहुत बढिया बना लेती है और तुम्हें खाना बहुत पसंद है । इससे ज्यादा और क्या चाहिए किसी मर्द को? मैंने उसकी बात पर छह गया था तो छुट्टियाँ एक साथ आ रही थी । बैंक की नौकरी में ऐसा काम होता था कि रविवार के आगे या पीछे भी छुट्टी हूँ । डैनी ने घर जाने की सोची थी क्योंकि कई महीनों से उसे वहाँ जाने का मौका नहीं मिला था और उसने जाना टाल दिया था । उसकी जगह गिरिजा के साथ वक्त बिताकर उसका मन टटोलना चाहता था । देखना चाहता था कि वो और गिर जाए । कितने पानी में थे । उसने गिरजा को ताज होटल के बाद में मिलने का न्यौता दिया था । दैनिक होटल समय से पांच मिनट पहले पहुंचकर अपना होलिया समर मिलने की तैयारी में उसने एक दिन पहले ही अशोक होटल जाकर अपने बाल कटवाये थे और अपने गोरेपन को छत करने के लिए सोना बात भी लिया था । ऐसे मौके पर सूट पहनना उसको वाजिब नहीं लगा था । इसलिए हल्की हरिज उनकी सिल्की कमीज पर उसने कार्डिगन डाल लिया था । कमीज के रंग से पेंट मैचिंग थी और गले में इसका बना हुआ था । चीजें में जब डैनी ने अपने को देखा तो उसे अपने पर रश होने लगा था । गिर जभी तकल्लुफ में नहीं पडी थी । रोजी रंग की स्कर्ट और सफेद हाउस में वैसी खेल रही थी कि डैनी देखता रह गया था । एक दम सीधी रीड पर उठा हुआ सर उसको भीड से अलग करता था और जब वह चलकर उसके पास आ रही थी तो उसके शाही अंदाज के सामने लोगों की निगाहें बरबस छूट गई थी । मैंने अपनी खुशकिस्मती पर जहर उठा था । पार्के सबसे दूर और सबसे अंधेरे वाले कोने में डैनी ने गिरजा को ले जाकर बिठाया था । एक तरफ बार के हल्ले गुल्ले से दूर चैन से बैठकर गिरजा से बात करना चाहता था तो दूसरी तरफ गिरजा खूब लोगों की घूरती निगाहों से दूर भी रखना चाहता था । उसको याद था गिरजा घुटने से बेचैन हो जाती थी । ऍम गिर जाने वर्जन मेरी वर्जन रहने से कैंसर हो जाता है । उसमें शरारत की थी । तुम परेशान मत ऍम जवाब दिया था की बीमारी लगने से पहले में शादी कर लूंगी । कुछ दे नौकरीपेशे पर तस्वरों करते रहे थे । डैनी आगे बाद बढाना चाहता था उसने अपने लिए एक और ड्रिंक मंगवाई और गिरजा की वर्जन मैरिको ब्लडी मैरी में तब्दील कर दिया था । नहीं ब्लडी मैरी नहीं, नहीं नहीं मैंने कभी शराब नहीं पी है । उस ने जोर देकर कहा था कभी ना कभी तो पहली बार होना ही है । तो फिर आज क्यों नहीं । उस ने जवाब में कहा था देख जा नहीं मानी थी । टैनी ने फिर समझाया था पीकर तो देखो अच्छा लगेगा अगर ना लगे तो छोड देना । उसने बहलाया था वो गिर जाए तो जरूर मिलाना चाहता था जिससे बात पे जहाँ तक हो सके । वैसे भी इतनी खूबसूरत लडकी के साथ हम पहला बनने का खयाल उसको बेहद रूमानी लगने लगा था । फिर जाने डरते हुए पहले ब्लडी मैरी का एक छोटा सा घूम लिया । फिर लम्बा घूम पारा था । रहे तो बहुत अच्छी है । मुझे पसंद आई । उसने खिलखिलाकर कहा था । दैनिक झूम उठा था । उसकी लाइफ सेट हो गई थी । वो पांच सितारा होटल में बैठा था । उसके सामने एक बेहद खूबसूरत लडकी थी तो उसके साथ पी रही थी । उसकी हैसियत इतनी थी कि वह बिना परेशान हुए बिल भर सकता था । सहारनपुर जैसे शहर के निम्न मध्यम वर्ग कलर का भला इससे ज्यादा और क्या पा सकता था । बातचीत के दौरान गिरजा ने बताया था इसकी शुरूआती पढाई मसूरी के बडे स्कूल में हुई थी । फिर वो दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज आ गई थी जहां उसने इंग्लिश लिटरेचर में बी ए ऑनर्स किया था । इसके बाद डैडी ने अपने दोस्त जो विज्ञापन कंपनी के एमडी हैं से कहा, और मुझे नौकरी मिल गई भेजा नहीं । कंधे उसका दिए थे, फॅमिली में है । डैनी ने ऐसे ही पूछ लिया था । पर जवाब सुनकर सन्न रह गया । फिर जा के पिता देश की सबसे बडी स्कूटर कंपनी के सर्वेसर्वा थे । यही नहीं मैनेजमेंट की दुनिया में बहुत बडी हैसियत वाले नाम भी थे । हफ्ते भर पहले ही डैनी ने उनका एक लंबा इंटरव्यू अखबार में पडा था । ऍम उसे अपनी किस्मत पर विश्वास नहीं हो रहा था । वो कॉर्पोरेट दुनिया के धुरंधर की लडकी के साथ इतने दिनों से दोस्ती में था और उसे पता भी नहीं था । वो अपनी जहालत पर हैरान था । किस हद हो गई थी ऍम तुम उनकी बेटी हो हैरानी दिखाते हुए कहा था तो जाने माने प्रोफेशनल है । हर कोई उनकी बहुत जब करता है । हाँ मैं जानती हूँ गिर जाने अनमना सा जवाब दिया । गाडी अपने काम से पूरी तरह से जुडे हुए हैं । वहाँ से भी थोडा बहुत जुडे होते तो मतलब पंद्रह साल पहले वो अलग हो गए थे । मैं बहुत छोटी थी । मैंने अपनी पूरी जिंदगी हॉस्टल में गुजारी है । कितनी बुरी बात है ना ऍसे पूछा था । हमारे हम ने कहा है । उन्होंने बहुत पहले दूसरी शादी कर ली थी । देसाई अंकल से हम लोग मिलते रहते हैं और उतना नहीं जितना काफी हो । पहुंॅच उसे धीरे से पूछा था भेजा है । जब उनका पूरा नाम बताया तो डैनी को लगा था की खुशी के मारे वह मर जाएगा । देसाई उसके बैंक के डायरेक्टर थे । ऍम ऍम डैनी ने अपने को संभाला पर पूरा धीरज रखकर उसे कुछ और सवाल पूछ रहे थे । डैडी के साथ रहती हूँ नहीं और उनसे रोड पर मेरा अपना फ्लैट है । कोई भाई बहन उनको अपने झगडे से फुर्सत मिलती तो शायद होते हुए फिलहाल नहीं हूँ । एक तरह से उनके लिए अच्छा ही है । सिर्फ एक की परेशानी है । उनके सामने तो चार नहीं ऐसा नहीं कहते । ऍसे झिडकी दी थी । हर माँ बाप अपने बच्चों को प्यार करते हैं और अब तो हमें भी करते हैं । चाहे आपस में कितनी भी तकरार हो, गिरजा सिर हिलाकर हामी तो भर दी और वो उसकी बात सुन नहीं सकती थी । उसके अंदर जज्बात घूम रहे थे जिन पर काबू पाने की कोशिश में वह नाकाम हो रही थी । उसके गौर ब्लडी मैरी मंगवाई थी । अंदर की टूटन बाहर जाहिर होने लगी थी । डैनी ने बढकर उसका हाथ थाम लिया । फिर जाने सहारे को भेज दिया था । हाथ पकडे हुए दोनों काफी देर तक बैठे रहे थे । नहीं उससे हमदर्दी हो चली थी । गिरजा मासूम थी । उसके पास सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं था । उसके माँ बाप शहर में तो थे पर उस से बहुत दूर थे । बिचारी को अकेले रहना पड रहा था । उसकी बदनसीबी उसको खल रही थी । टेनिस की हौसलाअफजाई करना चाहता था । कहना चाहता था कि उसके हालत को बेहतर बनाने के लिए उसके साथ खडा होना चाहता है । रहनी नहीं उसका हाथ फिरसे तो पपाया और उसकी वहाँ को हल्के हाथ से सहारा दिया था । उसे हर उठी । उसने अपनी दुनियाँ फिर दौड आई थी ऍफ उठाकर से न करने की गुजारिश की थी । पटानी नहीं नहीं रुका था । उसने गिर जा के दोनों हाथ अपने हाथों में ले लिए । उसके हथेली पर अपनी उंगलियां मचा दी थी तो वहाँ पे उसने फिर अपनी फॅमिली ने उसको खारिज कर दिया था । बे बस उसकी तरफ देखती रही थी । उडानी को रोकना भी चाहती थी और शायद नहीं भी उसे कुछ मीठा मीठा सा महसूस हो रहा था ना पहले कभी नहीं हुआ था । डैनी भी बह रहा था । उसके होश में काबू हो रहे थे । वो अपने को रोक नहीं पा रहा था । अच्छा ना उठ कर सके । जा अपनी बाहों में भर लिया और उसके होठों पर अपने वोट रखती है । उससे लिपट गई थी । इसे डैनी के सहारे को अपने में उठा लेना चाहती हो । कुछ देर बाद उन्हें और उनकी मौजूदगी का एहसास हुआ और झट से वो अलग हो गए । फॅमिली जगह पर जाकर बैठ गया । अपने किए पर शर्मा रहा था तो मुझे किसके क्या ले जाने छटपटाते पूछा था क्योंकि मैं तुम समापत करना चाहता हूँ । छत नहीं है, यही कह रही हूँ सच कह रहा हूँ अगर तुम सच कह रहे हो तो मैं तुमसे कुछ कहना चाहती हूँ क्या? नहीं नहीं शर्माते हुए कहा था अभी तुम से प्यार करती हूँ । ट्रेनिंग उसका हाथ की तरफ अपना हाथ बडा । उसने अपने दोनों खाते उसको थमा दिए थे । दैनिक जज्बात लबालब हो चले थे । फिर जा के आंखों के कोछर चला आए थे । उन्होंने कहा तो मुझसे प्यार करते हो । खाना मुझे शादी कर लो, हम अगर राजी हो तो कर लूंगा । कुछ हसते हुए जवाब दिया था सब कुछ बहुत जल्दी जल्दी हो रहा था । उस एरा नहीं पकड पा रहा था । मैं राजी हूँ । उसमें शाही अंदाज में हाथ फैलाकर कहा था इतने बडे बात की इतनी खूबसूरत लडकी इतनी जल्दी उससे शादी करने को राजी हो गई थी । सुनकर उसे कश् आने लगा था और हमें शादी अभी इसी वक्त कर लेनी चाहिए । गिर जाने फैसला सुना दिया था । आप था, इतनी जल्दी क्या है? दैनिक ने बहुत होकर पूछा था तो मुझे किस करने की भी क्या जल्दी थी? उसने तपाक से जवाब क्या मुझे कोई जल्दी नहीं थी । वह बस हो गया था । ठीक है पर जब तुमने मुझे किस कर ही लिया है और कहा है कि तुम मुझसे प्यार करते हैं और उसके बाद प्रपोज भी किया है । इस पर मैंने हमें भी भर दी है तो हम शादी क्यों नहीं कर सकते हैं? अच्छा कुछ हो गया है । जहाँ ने समझाने की कोशिश की थी । छब्बीस तरह अचानक नहीं होती है । उसको सिलसिला होता है तो डाॅॅ नहीं डाल रहा हूँ । मैं सिर्फ इतना कह रहा हूँ अगर हम सब आ गए प्यार करते हो तो मुझे अभी इसी वक्त शादी करो मगर रिजर्व बीच में उसके बाद काट दी थी । नहीं नहीं अगर तुम उसे दिल्ली तौर से प्यार करते हो तो मुझे अभी शादी कर लोगे । पर ना मुझे लगेगा तुम मुझ से खेल रहे थे । वो खडी हुई और बिल लाने को कहा उससे अभी के अभी शादी कर लो नहीं मुझे अच्छा लगेगा । ऍफ तो अपनी जो बता रही थी और साथ में उसको मजबूर भी कर रही थी । डाॅ । चकरघन्नी सब इस कदर घूम रहा था उसका माथा धर्म हो गया था । गिरजा वो सब थी जो चाहता था खूबसूरत, ईमानदार, पढी लिखी और घर आने वाली हूँ । जल्दी से उसे उन लोगों से मिलवा सकती थी जिनसे मिलने के लिए और लोग करते थे । हर तरह से वो उसके लिए ही बनी थी । उसको डाल नहीं सकता था और अगर ऐसा करने की कोशिश भी करता है तो उसका अंजाम ठीक नहीं होना था । वो खुद चलकर उसके पास आई थी और अगर वो जरा सब हिचक गया तो उसको तहाँ उम्र माफ नहीं करेगी । उस की सारी दलीलें बेकार साबित हो जाएंगी । मौका भी था उसपर अमल जरूरी था तो मंदिर जा रहे हैं कि नहीं । रिलिजन सीधे तौर से पूछा था हाँ हम इसी वक्त मंदिर जा रहे हैं । ट्रैन में पूरे चोट से जवाब दिया था और उसके बहुत आपके बाहर डाल दी थी तो फिर जाने प्यार से अपना सर उसके समझे बता दिया था । रात बहुत हो चुकी थी पर उससे उनको कोई मतलब नहीं था । होटल के बाहर ही गजरे देश की लडकी मिल गई थी । उन्होंने उसे कई सारे गजरे खरीदे और दो छोटी मालाओं में घुस दिया था । पांच ही बदला बंद था । कपाट बंद हो चुके थे पर उन्होंने उसके बाहर सीढियों पर खडे होकर एक दूसरे को जानना डाली थी । गिर जाने देर रात तक वहाँ दुआ मांगी और फिर अपने पति की बाहों में समा गयी थी । उसके चेहरे पर तरोताजा रॉड को भराई थी । बहुत खुश लग रही थी वो । शादी करने के बाद फिर ताज होटल शादी का जश्न मनाने के लिए लौटे थे और फिर फिर जाके फ्लैट पर चले गए थे । अगले दिन छुट्टी थी । वे आराम से सुबह उठ सकते थे । दैनिकी शादी सिर्फ पच्चीस साल की उम्र में जादू तौर से हो गई थी । उसे यकीन नहीं हो रहा था कि ये सब सपना नहीं और की थी ।
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