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अदभुत प्रेम की विचित्र कथा - Part 7 in Hindi

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AuthorSaransh Broadways
अदभुत प्रेम की विचित्र कथा writer: अश्विनी भटनागर Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Ashvini Bhatnagar
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साथ महीने का दूसरा शनिवार आ रहा था और डैनी को अपनी पहली पार्टी का न्यौता मिल चुका था । हो ना पार्टी दे रही थी । इसमें अनुभव को छोडकर दफ्तर के सभी लोगों को बुलाया गया था । विशाल और उसके लडके तो होंगे ही पर काउंटर पर खडी होने वाली लडकियाँ भी आने वाली थी । इसके अलावा उन्होंने बताया था उसके कुछ बाहर के दोस्त होंगे और मेरे दो चार पुराने आशिक भी आएंगे । वो ना के घर का पता जानकर दैनिक चौंक गया था । दिल्ली की सबसे अमीर बस्तियों में से एक में उसका पडा समाचार था । अरे मैंने नहीं बनवाया है उसने डैनी के कौन तो हमको शाम करते हुए कहा था फॅस के बाद मेरे को दिया था । उसके अलावा पास के मोहल्ले में उसके दो फ्लैट और भी थी जिसको उसने किराए पर चढा रखा था । मुझे बैंक की तनख्वा की जरूरत नहीं है और मैं घर में खाली तो बैठ नहीं सकती हूँ । नौकरी वक्त गुजारने के लिए करती हूँ उस हसते हुए कहा था हो सकता है कभी बैंक वालो को मुझ पर तालाश आ जाए और मेरा प्रमोशन कर दें । समझना है रिटायर होने से पहले कम से कम असिस्टेंट मैनेजर तो बन ही जाऊँ नहीं । मोना के घर तय वक्त से एक घंटे देरी से पहुंचा था । क्या चुके थे बाहरी गेट के सामने कारों और स्कूटरों की लंबी कतार लगी थी । जाहिर था कि देर जाने का चलन खत्म हो चुका था । एक तबके में वक्त की पाबंदी का पूरा ख्याल रखा जाता था । उन का घर बहुत सुन्दर था । बडे लॉन में करीब में से फूल लगे हुए थे । बगीचे को देखकर लगता था कि किसी ने बडे मन और लगन से उनको सजाया था । घर का दरवाजा मोटी टीक, लकडी का था जिसपर खूबसूरत नक्काशी की हुई थी । उसके खुलते ही सभी तरह की सात सजा से लैस ड्राइंग रूम था । इसमें पार्टी चल रही थी । दैनिक ओमूरा का मकान बहुत पसंद आया । उसके जीने का तरीका अच्छा लगा था । अचानक उसे दफ्तर की रिसेप्टर्स नहीं रही थी । टहनी ने उसे गौर से देखा था और से लगा कि वो उसकी दोस्त हो सकती थी नहीं । उस समूह बनाकर कहा था मेरी पार्टी में कोई इतना लेट नहीं आता है जितना तुम आए हो । मोहणा की हल्की सी झिडकी से वह खिसिया गया था । पर इससे पहले कि वो कुछ कहता विशाल उसका हाथ पकडकर लोगों से मिलवाने ले गया था । दफ्तर के लोगों के अलावा कई नामीगिरामी लोग मौजूद थे । उनमें एक मशहूर विज्ञापन कंपनी का वाइस प्रेसिडेंट, कई सरकारी अफसर, मशहूर फनकार और अंतर्राष्ट्रीय हवाई इसके पायलट थे । सभी हम उम्र थे और पार्टी के जोश में थे । मोराजी रईसी और शाम का माहौल देखकर डैनी पहले कुछ घबरा सा गया तो कभी ऐसी पार्टी में नहीं गया था । लोग आराम वाले कपडे पहने हुए थे । यहाँ तक कि विशाल लिख कर और चमकीले नीले रंग की टीशर्ट में था । मोना स्कर्ट और बिना बहुत टॉप पहने हुए थी । जबकि निशा जी जिसमें सुंदर लग रही थीं, दैनिक अपने सूट बूट पर शर्म आ रही थी । प्रशांत उसका शव पूछा, मैंने कहना तो चाहता था कि वह नहीं पिता है पर अब कह नहीं पाया । विशाल जब तक उसके लिए बैग लाता टैनी ने मौका देखकर कोर्ट उतार दिया था और कमीज कि बही चढा ली थी । अब वह थोडा बहुत ठीक दिख रहा था । दैनिकों अकेले खडे देखकर निशा आ गई और से बातें करने लगी । दफ्तर की संगीता निशा बेबाक हँसी मजाक कर रही थी । उसे सर की जगह दे नहीं कह रही हैं । महीने में पार्टी अपने घर पर करती रहती है और बीच में हम में से कोई एक अपने घर में रख लेता है । इस तरह महीने की तो पार्टियां हो जाती हैं । इस तरह थोडी बहुत पार्टी कर लेते हैं तो वहीं ना अच्छे से गुजर जाता है । निशाने समझाया था । टेनिस की बात तो सुन रहा था पर उसकी नजर बार बार निशा के ग्लास पर लौट आती थी । निशान वक्त शर्माती रही थी या फिर शरबत में आप भी शामिल थी । भरे गिलास को देखकर कुछ कहा नहीं जा सकता था । अचानक उसके लिए जानकारी जरूरी हो गई थी क्योंकि तभी वह निशा के बारे में फैसला ले सकता था । ऐसा नहीं है कि उससे कुछ फरक पडने वाला था और दीनानाथ के संस्कार कहते थे कि अच्छी लडकियां शराब नहीं पीती थीं । दैनिकों निशा अच्छी लडकी लगी थी । वो पक्के तौर पर जानना चाहता था कि निशा इस तरह की या फिर उस तरह की लडकी है । एंडिंग आपने गिलास में खून भरा और आखिर पूछ लिया था तुम क्या कर रही हो तो कोई विकास शर्मा गुटकर । दैनिक जुबान से उन्यासी फिसल गया था । निशाने उसे एक साधु उस काम दी थी और फिर किसी और से बात करने के लिए मुड गई । दो घंटे और कई पैर के बाद पार्टी गरमाने लगी थी । प्रिंटर बाबू शायराना अंदाज में बुरे चाल चलन की अच्छाइयाँ बताने में मस्त थे लडकियाँ उनकी रंगीली बात सुनकर माइक कार्ड और माई गॉड के सुर पड चटखारे ले रही थी । मर्द उनसे दूर जाकर खडे हुए थे । उन को मालूम था बाबू जी अपना मजाक बनवा कर ही मानेंगे । दूसरी तरफ पायलट बेहतर देखने वाली लडकियों को पटाने में लगे थे । प्रदेश यात्रा की कहानियां हमेशा से लडकियों का दिल लुभाने के काम आती रही थी और उनके कपडों और मेकअप के सामान की मांग कम नहीं हुई थी और पायलट से दोस्ती करने का मतलब उसको इन चीजों के लिए मुझे चुना था । पायलट भी जेब भरी थी करने के लिए तैयार रहते थे अगर लडकी उनके साथ सपने को ढाल लेने को तैयार हो जाती थी । विज्ञापन कंपनी वाला अपने में ही खुश था और तीस मिनट के बाद वोट कर बार तक आता था और अपने लिए बडा सा जाम बनवा लेता था । पीते पीते जब भी उसे अकेलापन लगता था तो खुद से कुछ बातें कर लेता था । होना के लिए बहुत कुछ खास था क्योंकि समय समय पर वो उसके पास की जताने पहुंच जाती थी कि वो उसका पूरा खयाल रख रही है । ड्राइंग रूम के बीच का हिस्सा खाली कर दिया गया था और डिस्को संगीत बचने लगा था । विशाल ने बोला को पहले डांस के लिए बुलाया था । वो बेहतरीन तालमेल से रहे थे । उनको देखकर डैनी को ऐसा लग रहा था जैसे दोनों एक साथ बरसों से नाच रहे थे । विशाल यू तो दफ्तर में मोना की तरफ देखता भी नहीं था । पिछले दो हफ्तों में दैनिक विशाल को कभी मोनो से बात करते नहीं देखा था । आज वो उसके साथ ऐसे नाच रहा था जैसे उसका खाद बंद हो । डैनी को उसका दोगलापन खड रहा था और बोलना वो तो पूरे मुझे ले रही थी । उसने कभी जिक्र नहीं किया था कि वह विशाल के इतने खरीद थी । दफ्तर के बाहर उसने विशाल को हस हस कर जरूर बताया होगा । किस तरह नया रंगरूप डैनी उस शरारत करने की कोशिश करता हूँ या थर्ड कैसे अनुभव के बारे में जानकारी हासिल करने में जुटा था और जो फॅमिली लडकियाँ जो नीले रंग की साडी बहन का सोम्य तरीके से ग्राहकों से बात कर दी थी । यहाँ पर नंगी टांगे उछल उछल कर नाच रही थी । एक तो यार किस्म के पायलट के साथ लगी थी तो दूसरी तेली किस्म के सरकारी अफसर को पूरा तवज्जो दे रही थी । नाच गाना अपने पूरे शबाब पर था तो स्तर वाले गंभीर मुखौटे हट गए थे । मौत का माहौल सब परसवार था । टेन ही बस अकेला रह गया था तो बार के एक स्कूल पर जाकर बैठा और अपने लिए तीसरा पैट उस ने बनवाया । दो के बाद उसको शुरू हो गया था । तीसरा उन पर टिंचर लगाने के लिए टैलीको पार्टी अच्छी लग रही थी । कॉलेज जैसी पार्टियों के बारे में सुना जरूर था पर किसी ने उसको मैं कभी बुलाया नहीं था । अब वहाँ पहुंच गया था पर अभी पूरी तरह से नहीं । उसको वो अहमियत नहीं मिल रही थी जिसकी उसको आरजू थी । वो बाजू में बैठा वह शराब पी रहा था जबकि उसे लडकियों से घर आ होना चाहिए था । इनके साथ शरण भरे अंदाज में हसी मजाक कर सकता और सारी रात किसी नाजरीन के साथ रखता रखता । फिलहाल और लोग मुझे कर रहे थे और वह अकेला बैठा किला सहला रहा था । उसने ड्राइंग रूम में मोना को खोजने के लिए नजर दौडाई और एक है उसके नहीं था । एक लंबी सी गुलाबी रंग की कमीज पहने लडकी पर ठहर गई । वो अकेले ही अपने में मस्त नाच रही थी । उसकी कमर तक लंबे बाल थे जिन्हें उसने खुला छोड रखा था । जी के नाॅन और उसका रंग तो दिया था । कद के बावजूद उसकी रीड एकदम सीधी थी । दूसरी लडकियों से अलग वन जाने में थोडा झुककर चलती थी चाय । उसका अंदर का आत्मविश्वास रीड को सीधा रखे हुए था । ऍसे देर तक देखता रहा था । उससे फौरन मिलना चाहता था । वो एकदम अलग किस्म की थी । लगभग वैसी कैसी हो चाहता था । संगीत के ढलते ही लडकी ने अपने को भी डाला क्या? और उसकी तरफ पढना शुरू कर दिया । उससे कदम बढाते ही डैनी को पक्का अंदेशा हो गया था कि वो बार में बैग लेने नहीं आ रही थी बल्कि उससे पांच करने आ रही थी और वो एक अनजान आदमी से यही क्यों बात करना चाहती थी । ऐसा क्या हो गया था? या उसने ऐसा क्या कर दिया था जिससे वो लडकी उसकी तरफ इस तरह से बडी आ रही थी । उसका रूप देखकर डैनी कुछ खत्म हो गया । तुम मुझे हो रहे थे, उसका पहुंचते ही किया था । सवाल में गुस्सा है, झल्लाहट नहीं था और जिस तरह से उस से पूछा गया तो साफ जाहिर था कि लडकी को फौरन सच्चा जवाब चाहिए था । मैं मैं कहाँ घूम रहा था? डैनी बुदबुदाया था झूठ मत बोलो । हम भूल रहे थे उस डैनी को ललकारा था । माफ कीजियेगा आपको हर तभी हुई है नहीं । मुझे कोई गलत से भी नहीं हुई है हूँ घूम रहे थे । फॅसने अपनी नजर तो मोदी थी उसे आप मिला नहीं पा रहा था । रंगे हाथों पकडा गया । आप बताओ जल्दी बताओ में इंतजार कर रही हूँ । उसने सीधे सीधे जवाब मांगा था । इससे पहले की डैनी खोलता मोना नहीं यहाँ पडी थी । उसने लडकी के हाथ में हार डाला और शोखी भरे अंदाज में पूछा था गिरजा तो मेरे बहुत से अब तक मिली होगी? नहीं नहीं तो नहीं हूँ । पर अभी इनसे एक सवाल मैंने जरूर पूछा था । चलो सवाल का जवाब दे देती हूँ । ये गिरिजा है । बहुत प्यारी सी बहुत अच्छी तो विज्ञापन कंपनी में पडे होते पर है तुम से बात करके अच्छा लगेगा । दैनिक किसी तरह से हलो बुदबुदाया था । फिर जब उस कराई थी वो ना उसकी पीठ होगी थी और फिर आगे बढ गई थी । पहले मैंने तुमसे सवाल किया था फिर शुरू हो गई थी । मैं तुम्हारे पीने के लिए क्या कर सकता हूँ? ऍम पूछा था एक गिलास पानी उसी तरह से जवाब दिया था । सैनिक जल्दी से पानी ले आया था और तुम्हारा काम कैसा चल रहा है? विज्ञापन मानो की जिंदगी तो निराली होती है । मैंने कुछ बात बदलने की कोशिश की थी । तुम मुझे क्यों खुल रहे थे? उसने फिर पूछा था मैं नहीं बोल रहा था, तुम भूल रहे थे नहीं, मैं तो सिर्फ लोगों को रास्ते हुए देख रहा था और हो सकता है मैं तुम को देखा हूँ । शायद और उसे कुछ देर ज्यादा देखा हूँ । तुम मुझे घूर रहे थे । उसमें जब की थी तो मैं कैसे पता है? क्योंकि मैंने तो मैं घूमते हुए देखा था तो साफ कहा था मतलब मैं नहीं, तुम तो मुझे बोल रही थी । फॅसने की कोशिश की थी । ज्यादा शास्त्र बनने की कोशिश मत करो । जब कोई मुझे घूरता है तो मुझे पता चल जाता है । समझे फॅमिली खून भरी थी । सवाल का जवाब देने के लिए अब वो तैयार था । भागे जा मैं तो मेरी तरफ देखा था और फिर तो मैं देखता ही रह गया था । अगर तो में से पूरा मानती हूँ तो मैं बुरा लगता है तो हम साडी असम से जान बुझकर नहीं हुआ था । चलो हूँ दोस्त बन जाते हैं, ऍम रहा और दोस्ती का हाथ आगे बढा लिया । गिरजा पांच से और भी सुंदर लग रही थी । उसका असर हल्का से पीछे की तरफ डाला रहता था । ऐसा लगता था कि वह सिर उठाकर जीने की आदि है । इससे वो आपने कब से लंबी भी ज्यादा लगती थी । डैनी के गंदे से थोडा ऊपर ही देखती थी । उसकी आंखों से ईमानदारी झलक रही थी । पर मिलाकर डैनी को लगा था कि गिर जाता । किसी भी मशहूर हेरोइन क्या मॉडल्स से ज्यादा सुंदर नहीं । उसका दिल में कुछ कुछ होने लगा था । फिर जाने उसका बडा हुआ हाथ नहीं थामा था । उसकी तरफ ऐसे ताक रही थी मानो उसके सवाल का जवाब किसी भी समय रहने की आंखों में उतरने वाला था । मैंने आप चुराने कोशिश कर रहा था और गिरिजा का उन पर सख्त पहरा था । चलते कुछ नहीं बैठे हैं । उसमें हार कर रहा था, गिर जाने, सिर हिलाकर हामी भरी थी और उसके पीछे कमरे के शांत होने की तरफ चलती थी तो दिल्ली की रहने वाली हो रैनी में बैठे ही पूछा था । उसने बेपरवाह से जवाब दिया था । साफ था उसे परवाह सिर्फ अपने सवाल के जवाब की थी । कॅश सोचा फिर फैसला लिया की अब जो भी हो वो गिरजा से साफ साफ बात करेगा । कोई लागलपेट की गुंजाइश नहीं थी । गिरजा मैं तो मैं सच बता देना चाहता हूँ लेकिन बुरा नहीं मानना हूँ । सुनने को बेताब है । उसे तबाह से जवाब दिया था उसकी आंखों में अचानक समझ आ गई थी तो ठीक पकडा था । मैं तुम्हें वास्तव में घूम रहा था । हाँ तो घूम रहे थे । मुझे मालूम था उसने । जोश ने कहा था और फिर कुछ रुककर होने से पूछा था पर तुम मुझे घूर हो रहे थे जो क्योंकि मेरी नजर तुम से आगे नहीं बढ रही थी । हम पर अटक गई थी तो बहुत सुन्दर हो फिर जब शर्मा की थी डैनी ने बाद आगे बढाई थी तुम पर मेरी नजर इत्तेफाकन पडी थी । पूरी शाम गुजर गई थी पर तुम से कहीं देखी नहीं थी । उस वक्त में बार बार अकेला खडा हुआ था और लोगों को नाचते हुए ऐसे ही देख रहा था । और फिर अचानक तुम सामने आ गई थी । मैं तो मैं देखता ही रह गया था । तुमको मेरा देखना घूरना लगा होगा । अच्छा है पत्नी से भी फॅमिली में बडी नफासत से अपनी बात कह डाली थी । दिल जाने पहली बार उसकी तरफ नजर भरकर देखा था । फॅमिली से मुस्कराहट उसके होठों पर खेल रही थी । डैनी ने सिलसिला आगे बढाया था । देखो मैंने तो तुम भी सच सच बता दिया है और क्या तुम भी सच कहने का हौसला रखती हूँ? हाँ, मैंने भी तो वहाँ खडे हुए देखा था । वो भी सोचा था कि क्या आदमी कौन है? फिर जाने साहब कोई से कहा था और कुछ नहीं । क्या तुम ने भी मुझे नहीं हो रहा था । नहीं मेरे को मैं खुलकर नहीं देखा था । तुम्हारे बारे में सवाल जरूर मान नहीं उठा था । दैनिक उसकी दे बाकी बहुत पसंद आई थी । उसने फिर अपना हाथ बढा दिया था । मुझसे दोस्ती करोगी । हाँ जरूर हाथ मिलाते हुए कहा था पर आगे से लडकियों को मत भूलना । वो बेचैन हो जाती हैं ।

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Voice Artist

अदभुत प्रेम की विचित्र कथा writer: अश्विनी भटनागर Voiceover Artist : Ashish Jain Author : Ashvini Bhatnagar
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