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पार्टी लाओ । उन से निकलकर बाहर रीत में लौट रही थी । प्याले वहीं रह गए थे और उनकी जगह गोलियाँ और भरी हुई सिगरेट निकल चुकी थी । प्रीति ने गोली प्रेमियों के लिए लंगर खोल दिया और सेबी ने धुआँ खोरों का डेरा जमा लिया । दोनों का अपना अपना इलाका था जिसमें मैं किसी ओझा की तरह झाडफूँक और सट्टेबाजी अपने चेलों से करवा रहे थे । प्रेक्टिस साडी अभी भी स्कूलों पर वैसे ही खतरनाक तरीके से लटक रही थी । लहरों के बडे हाथों से बचकर निकल तो आई थी पर दरिया की मौज में उसकी जवान तल्खी को नहीं छोड दिया था । कमर से वो अब भरे थके मन से लटक रही थी । कुमार एक जगह से दूसरी जगह सर पर दौड रहा था । एक कोने से आवाज लगाई जाती थी तो उसका जवाब किसी दूसरे कोने से आता था । देश के अंधेरों में थके उसको ठिठका देते थे और फिर कहीं से बहती हुई खिलखिलाहट की बयार उसकी अपनी सांसे दोबारा चला देती थी । खामोश राहत ने आवाजों की धमाचौकडी तरिया को परेशान करने वाली थी । वो लगभग कर उनको अपने किनारे से खदेड देता था और जैसी फरक कर देखता हूँ उन को फिर से अठखेलियां करते पाता था । वो खींच रहा था उरा कर उन्हें दूर रहने के राय दे रहा था । पर कुमार तो मारा था, बेसुध होने तक इठलाने से बात नहीं आ सकता हूँ । गिरजा और दे नहीं । इन सब से हटकर थोडी तो अपनी नजदीक या समिति बैठे हुए हैं । रहने के पास कुछ कहने को नहीं था । सब खुदबखुद जाहिर हो रहा था और गिरजा उसकी बहुत कम कर उसकी तरफ दिख गई थी । दूसरे हाथ से और रेट पर डीयू के रही थी और उसको अपने जी के साथ पिरोने की कोशिश कर रही थी । उसके नेता अचानक देनी पडी, उस की कोशिश को चाव से देख रहा था और शर्मा नहीं । जल्दी से उसने लिखा मिटा दिया था और दिल बनाने में लगते हैं । दैनिक मुस्कुराता देखकर उसने उसी भी मिटा दिया और फिर एक गोला खींच दिया था । बोले के भीतर उससे छोटा और फिर उससे छोटा गोला बनाती गयी थी । जब तक लाइन खींचने कि जगह ही नहीं बची थी, गई जा रही थी और उसने बडी लज्जत से बीच ऊॅ लगाकर से सलाह दिया था । आप जैसी नजदीकी डैनी ने अभी कभी महसूस नहीं की थी । पहली रात फॅमिली है । उनको पता ही नहीं चला कब उनकी गरम सांसों से एक पल पिघल कर दूसरे में खुल गया था । उस रात को एक दूसरे के लिए ऍम और बदन टूट कर बिखर जाने पर आमादा दें । पर आज की रात अलग थी । सब शाम था बे बना मोहम्मद के एहसास में जो पढने से कतरा रहा था । इस बात की कोमल कलियां एक के बाद एक चटक तरुण को अपने खुशबू से खेल रही थी । साथ कश्यप पूरा करने के लिए हम गए थे आए मोना कहीं पांच से चलाई थी ऍसे अंधेरे में नजरें दौडाएं उसे दरिया से निकल कर अपनी तरफ आते हुए देखा । छोटी छोटी लहरें उसके टखनों को पकडकर रोक लेने के लिए मचल रही थी । पर वो उछलते कूदते उनसे अपना पैर छुडाते हुए भागती चली आ रही थी । उसमें बहुत छोटी निक्कर और कैसी हुई टी शर्ट पहन रखी थी तो गहरी मिली । रात में दहकते लाल अंगारी की तरह होटल की भी की रोशनी में चमक रही थी । अरे कहाँ थे तुम लोग? मैं कितनी देर से तो मैं हर जगह घूम रही थी । उन्होंने शिकायत और उनके बीच में निधान से गिर पडेंगे । मैं तो समुद्र में नहीं कर आई हूँ हो । ये कहते हुए उसने अपना अकेलापन उन पर छिडक दिया था । अच्छा मुझे तो लगा तुम पसीने में नहीं हुई हो । ॅ शरारत से कहा था अगर तुम मेरे साथ डांस करते तो शायद मैं पसीने में जरूर रहा जाती । पर तुम तो कहीं और लगे हुए थे । इसलिए मैंने अपने को समुद्र के हवाले कर दिया । तुमने नहीं किया तो क्या हुआ, उसने तो मुझे तार कर दिया । मोना बेहतहाशा हंस पडी । डैनी और गिरता उसके अस्सी हमने का इंतजार करते देख रहे थे ऍम उसने अपनी हंसी रोकते हुए कहा था देखो तो हम सब यहाँ गोवा में है तो मैं गिर जाए क्या बात है और हमारे साथ ही काम तारे समंदर के हवा वाह सोचा भी नहीं था कि ऐसा साथ इतनी जल्दी नहीं हो जाएगा । कितना अच्छा लग रहा है ना । मोना की बात पर डैनी मुस्करा दिया था । उसने गिरजा की तरफ देखा था वो अपने में कोई हुई खुशी लग रही थी । शायद उसको मालूम नहीं था कि मोना गोवा में सब कुछ बताने वाली थी या फिर उसको मालूम था और दोनों सही वक्त का इंतजार कर रही थी । तो मैंने कहा था कि हम पहुँचते हैं, आपस में बात करती हैं और बिल्कुल उसी तरह उन्होंने भी कहा था, हम सब हुआ जा रहे हैं । वहीं सब बातें करेंगे । साफ था कि वो अपनी बिसात बिछा रही थी । वक्त रहते उसे छोडो प्यादों को बाजी में उतार देना ही ठीक था और नाश्य और मौत होने में तेरी नहीं लगेगी । डैनी उठा और भरी हुई सिगरेटें सभी से ले आया था । दोनों लडकियों ने लंबे लंबे कश मारे और बातचीत में मजबूर हो गयी । माहौल और उसके धुएँ की मस्ती उन पर छा रही थी । बात बात में उनकी बेलगाम हंसी छूट जाती थी और एक बात सही । दूसरी बात पर वैसे फुदक रही थी जिससे छूट गया डाल डाल हो सकती थी । वो पेपर वहाँ होती जा रही थी । पडनी संजीदा होता जा रहा था । उसने अपनी सिगरेट से कुछ छोटे कश मारे थे और से बुझा दिया था । उसका सारा ध्यान लडकियों की बातों पर था । उसको सुनना चाहता था, समझना चाहता था जिससे अपने को तैयार रख सकें । धरिया की तरह वो कभी भी उछाल मार सकती थी । उसे पानी पानी कर सकती थी । टैनी आधे घंटे तक इंतजार करता रहा पर दोनों अपने में ही उलझी हुई थी । उन्होंने डैनी की मौजूदगी को भुला दिया था । ऍफ का बार खाना भी था लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया और इंतजार मुश्किल हो रहा था । उसे ही पहल करनी थी । किस्सा आज ही खत्म करना था । हम हैं उनसे बात तो करनी है । उन्होंने उसकी टोक पर उस कर रहा था बस करने ही वाले थे । आखिरकार हम तीनों है । प्रसाद में हसीन लाख मौसम और तरिया का किनारा हूँ । होना कॅश होगा तुम्हारे मुझसे हसीन राहत मौसम सुनकर अजीब लगता है । थोडा अजीब लगता है । करेंगे न तो रोमानी हो रही थी इसीलिए तो अजीब लग रहा था । फिर जाने मुस्कराकर कहा तो छोडो वैसे भी मैं पेंटिंग किस्म की हो नहीं पैसे एक मिल दूर से मैं अपने सामने इश्कबाजी होती देख रही थी । कहा नहीं ऐसे ही पूछ डाला और मैं तुमको हद करते हो या पूछ रहे हो? कहाँ बोला ने अपनी चांद पर हाथ मारा था और जोर से हंस पडी थी । रही यहाँ और कहा अंदर भी देख सकता है कि मामला संगीत है । मैंने गलत कहाँ गिर जाए । गिरजा हंस पडी थी । ऐसा नहीं होना दैनिक शर्माते हुए बुलाया था । ऐसा क्या नहीं है? जी फॅालो कार दिया मुझे एक मील दूर से दिख रहा था और तुम कहते हैं ऐसा नहीं है भाई याद करो मैं तुमसे पहले कहा था ना कि तुमने गिरजा को गरमा दिया है । फॅमिली को एक बार फिर चल रहे हो ना । इस तरह की खबर बात मत करो उसमें वो ना कुछ कडक दिया बाल बना गई थी तो इस तरीके से बात करूँ हूँ क्या तुमने तमीजदार इकट्ठे का लिया हुआ है । अगर उसको तुमने गरमा दिया है तो करवा दिया है और तुम भी तो गिर जा के पीछे हफ्ते फिर रहे हो । हाँ वही कह रही हूँ जो है टेनिस चुप हो गया । होना की जुबान वैसे भी तेज थी और क्योंकि वो चली थी इसलिए उससे भरना ठीक नहीं था । नहीं होने की बात का बुरा मत मानो । रीजन होने से कहा गलत कुछ नहीं कह रही है । अगर तुम चाहो तो ये ही बात में दूसरे तरीके से कह देती हो तो मुझे सब कुछ पसंद आए थे । देखा सही कहा था ना मैंने । उन्होंने खुश होकर कहा था मुझे तो पहले दिन ही लग गया था की तुम दोनों की जरूरत पड जाएगी । ये तुम्हारी खामखयाली भी तो हो सकती थी । ट्रेनिंग बात को और खुलवाने की नियत से कहा था हम तो रहने दो फिर जाने अपने दिल की बात कबूलने की हिम्मत है और तुम तो अभी भी ऐसे बन रहे हो जैसे कुछ है ही नहीं । ट्रेनिंग अपने गुस्से को नीचे के अलावा और कुछ देश उस पर बैठा रहा था हूँ । सच है कि हम एक दूसरे को पसंद करते हैं पर इससे ज्यादा कुछ नहीं है । उसने सही ढंग से कहा था उसने गिर जा के और उम्मीद देखा कि वो उसकी बात से रजामंदी जताएगी और होना बीच में ही बोल पडी थी । अच्छा इससे ज्यादा कुछ नहीं क्या है? अगर है तो मेरे ठेंगे से उसने चिढकर कहा डैनी को जिस मौके की तलाश थी, उसे मिल गया था । उसने मोना को उकसाने के लिए पाँच कर दिया । हाँ, बिलकुल तो मैं क्या पडी है उन्हें गिरजा को मेरे बारे में उल्टा सीधा यही बताया था । उन्होंने फिर आंखें उठाई और खून कर देखा । मैंने क्या कहा था उसने बुक करा था बुरी बुरी बातें कही थी । फिर जा कुर्सी आ गई थी वो गाना शांत हो जाओ ऍम चला रहा है । उन्होंने चिपट करोड खडी हुई थी और गिरजा की बात सुनकर बैठ गई हूँ । मैं चला रहा था डैनी ने आगे बढकर मोना साहब थपथपाया था पर तुमने गिर जाए कुछ सिखाया पडा है तो थाना उससे दूरी बनाए रखने को कहा था । ना भेजा ने प्यार से दोनों के गले में पानी डालते ऍम को बताया था कि तुमने मुझे आगाह किया था और मैंने इसलिए बताया था क्योंकि तुमने मुझसे पूछा था उन्होंने पलट कर कहा था, मैंने दैनिक खुशी भी बताया था और मैंने डैनी को कहा था कि तुम ने उसके बारे में पूछा था पर मैंने ये नहीं बताया था कि तुमने क्या पूछा था डैनी दिया ये दिखाने के लिए कि वह बातचीत को गंभीरता से नहीं बल्कि हल्के फुल्के तरीके से ले रहा था । ठीक है खुद ही साफ हो गए हैं कि गिर जाने तुमसे मेरे बारे में पूछा था तुमने उसे कुछ पता हो तो मैं क्या बताया था? मैंने बताया था ना दोनों से पहले गिरजा बोल पडी थी । मैंने की राय नहीं मानी । उन्होंने गिरजा को तीखी निभा से देखा था मैंने कोई राय नहीं नहीं थी । गिरजा को स्वस्थ था । वहीं कहा था और क्या थी वह सच्चाई । टैनी ने पूछा छोडो भी रीजन जल्दी से बात करती थी । रात गयी बात पीता हुआ कल होने वाले कल कर सिला होता है फिर चाहे होना पाॅड ऍम को परेशान कर दिया है । मैंने नहीं तो नहीं तो उन्होंने तपाक से कहा तुम कर भी नहीं सकते हो तो मेरे लिए हो गया । मैं तुम्हारी वजह से परेशान हूँ । दैनिक कोई जवाब नहीं दिया । बस कंधे उस कार्य थे । होना को तैश आ गया था । बस ऍम मनोहर और देखो अभी ये जो मिडिल क्लास वाली नैतिकता का नाटक हॅाट दिखाना इस अपने पास हो ऍम खाते हुई थी । कॅश हमेशा तुम्हारे बारे में अच्छा ही कहती है । जब मैंने तुम्हारे बारे में से पूछा था तो उसने साफ चाहता तुम इसे बहुत पसंद हो । हमारी खुलकर तारीफ की थी इसमें फॅसने इतनी तारीफ की थी । किसको सुनकर मैं तुम्हें और ज्यादा पसंद करने लगी थी । उसमें कुछ ऐसा तो कहा था जिस सब थोडा सोचने पर मजबूर हो गई । ऍम नहीं उसने कुछ खास नहीं कहा था । विजय ने बात टालते हुए कहा जाॅन की मेरी जैसी मासूम लडकी को देख समझ कर चलना चाहिए । मतलब अच्छे ऍम अरे भाई लडके तो लडके होते हैं । उनसे जरा होशियार रहने में हर्ज क्या है । फिर जाने मुस्कराकर कहा था तो कम हूँ ऍम दिखाई । गिरजा मंद मंद मुस्कुराती रही थी । वो ना ईथरम से हरकत में आ गई । मशीन उसके इरादे पकता कर दिए थे तो अपनी बात कहने पर आवादा होती थी पर वहाँ से आगे बढ चुकी थी । उसे अब कोई नहीं रोक सकता था । मैं बताती हूँ मैंने गिरजा को क्या बताया था? उस ने गुस्से से कहा था खींच लिया था और अपनी उम्मीद रहने की तरफ तान दी थी । मैंने गिरजा को बताया था कि तुम्हें एक मिनट ऍसे बताया था कि तुम एक अच्छे आदमी हो । सारे मिडिल क्लास वाले अच्छे आदमी ही होते हैं । अच्छे मगर कूढमगज होते हैं । अच्छे पर बेकार होते हैं । ऐसे लोग होते हैं जो बातें तो बहुत बडी बडी करते हैं लेकिन अपनी नाक से आगे उन कुछ नहीं दिखता है । उनकी दूर की नजर कमजोर होती है और सोच पुरानपंथी होती है । पूरा एक पड चुकी थी । उसने हम पहुँच की थी । मैंने गिरजा को सलाह दी थी कि तुम से दूर रहे तो वो तुमको तुम्हारी तंग गलियों से बाहर नहीं जा सकेगी बल्कि तो उसको उस में घसीट कर रही हो गयी । उसका दमाद को मिडिल क्लास वाला हो गई । उन्होंने बोलते बोलते होने लगेगी दैनिक पत्थर बडा सब सुन पा रहे हैं गिर जाने के पास बडी और रेट में उंगलियाँ फिरना शुरू कर दिया था । सब चुके हैं कर्नाटक के बियाबान में डैनी को कुछ नहीं सूझ रहा था । कहीं तूफान खडा हुआ था जिसकी आवाज उसके कानों में बज रही थी और उसकी गर्म हवाओं के थपेडे उसके बदन पर चाबुक की तरह पढ रहे थे । उन्होंने उसको सूली पर चढा दिया था तो तरह रहा था और मोना अदलाबाद करने पर उतारू थी तो हमारे साथ दरअसल दिक्कत क्या है? जानते हैं उन्होंने उन्होंने फिर से शुरू किया हम अच्छे आदमी हो भले मना तो मुझे तुमसे कोई प्रॉब्लम नहीं है । अगर प्रॉब्लम है तो तुम्हारे घर चलाए भारी भरकम सामान से उनको लगता है तो मतलब पुरानी दुनिया से बाहर आ गए हो और तुमने नए तौर तरीकों को अपना लिया है । पर जब लोगों ने हमसे मजा किया ऍम पडे थे फॅस की तरह इस पर खडा पानी सर ऐसी बात में पड जाता है तो पानी पानी इसलिए हो रहे थे क्योंकि ये खास तरह की शर्मिंदगी तुम्हारे वजूद में समाई हुई है । तुम्हारे मेडल क्लास मौजूद में मुझे हो गए । कभी आगे नहीं बढ पाओगे । उन्होंने सांस लेने के लिए रुकी थी पर पास ऊपर बरामद और हाँ मैं तो मैं एक बात और बता दूँ सोचते हो ऐसा बन गया हूँ ऐसा बन गया हूँ । पर हकीकत यह है कि तुम आज भी खुलेआम हो । अपनी मानसिकता के मिडिल क्लास पोंगापंथी तुम्हारे लिए पोस्ट जवाहरात है । इसको नाॅक सकते हो । नहीं काम मिला सकते हो । यहाँ से बाहर है, जिससे सफर में पहले बिस्तरबंद और टीम का बच्चा हुआ करते थे । मुझे नहीं लगता तुम कभी अपने सामान से अपने को अलग करता हूँ । हमेशा बंद हो गई, क्योंकि इसके आगे तुम कभी सोच भी नहीं सकते हैं । मजबूरी है तोहरे वजूद की, फिर भेजा तो बन्दे उसके दुनिया एकदम अलग है । वो मजबूर नहीं है तो पाखंड सिर पर उठाए पैदा नहीं हुई थी । इसलिए अगर उसका मन चाहे तो तो मैं अक्सर हो सकती है । पर तो में बच्चा नहीं सकती है । अच्छा यही कहा था । मैंने गिरजा से खुश हुआ दैनिक तमाम बातें चुपचाप सुन ली थी । उसको मोना के तीखे आरोप कुछ री जरूर लगे थे और उसमें उन पर कुछ खास ध्यान नहीं दिया । कुछ घंटे पहले अगर मुझे ऐसा कहती तो जरूर उससे उलझता और पार्टी में आने से पहले उसने घर से लाया गया सामान दरिया में बहा दिया था । कुछ तैयारी जवा रात की पोटली बना कर उन्हें गहरे पानी में डूबो दिया था । ऍम थी का अंतिम संस्कार और करके वो कमरे से निकला था । होना गलत समझ रही थी । उसको पुराना डैनी समझकर बोल रही थी । उस को नहीं मालूम था कि वो अपने वजूद की सलाखें तोडकर फरार हो चुका था । बीते सालों में उसने उन्हें किस किसका ढीला तो कर दिया था और उन्हें ताकत लगाकर तोडने में वो थोडी देर पहले ही कामयाब हुआ था । धूल से सनी जिंदगी से निजात पा चुका था । अब वो आजाद था, नए तट पर खडा था । उसकी जीतकर सिलसिला इन्ही रेत के टीलों से शुरू होना था और बहुत दूर तक जाना था । वो जीत सकता था क्योंकि पहले भी जीता था । जीत दिमाग में होती है और अगर दिमाग को जोड दिया जाए तो जीत पर मुक्ति कष्ट जाती है । उसने अपनी मतलब जब भी लगाई उसने उसको बदल दिया था । एक तरह से वो अपनी बदलती सोच का निति जन्मता अवतार था । उसने अपना नाम बदल दिया था । दीनानाथ से डैनी हो गया था । जवान बदल दी थी । साला पीछे छूट गया था, अहम और शिफ्ट चढ गए थे और अपने मुफलिसी से चार चार हाथ करके वो तंगी से वही इसी को छीन रहा था । अब ऍम पूरी तरह बदल चुका था था । वो मिडिल क्लास में पैदा हुआ था । उसका नाम नहीं था । वो अखिल का कुमार था । एक मामूली जिंदगी को भी हुजूर उनकी हैसियत पहुँच सकता हूँ । उन्होंने उसको समझती जरूर थी पर पूरी तरह से नहीं । उसको मालूम नहीं था कि वो अपना बिस्तरबंद और तीन का बक्सा बहुत पहले ही अपनी गली के मोड पर छोडा था और ही दिया फटाफट आगे निकल गया था । शरण वफा ईमानदारी और मेहनत के खानदानी जवाना उसमें जरूर साथ रखे थे । पर आज उसने उनको विसर्जित कर दिया था । लगे देश में वो नंदा खडा था । बोलना को उसके नंगेपन का इल्म नहीं था और इसलिए गलत पेड पर चढकर वह म्याऊ म्याऊ कर रही थी । अब वो अपनी रफ्तार और बढा सकता था । वक्त भी माकूल था । लाइसेंस परमिट राज खत्म हो रहा था । यानी लाला लोग बिचारे होने की कगार पढते । दलालों की दुकानें उठ रही थी और उनकी जगह नई पडी लिखी पेशेवर जमा चल रही थी । बाजार में बदलाव के हलचल को समझें और उसका फायदा उठाने के लिए नए पैंतरों की जरूरत वालों में सरसों का तेल लगाए लाला हूँ । उनकी चांस, फिफ्टी, औलादों की सोच और उनकी पुरातनपंथी मानसिकता उनको ले बैठने वाली थी । वास्तव में पुराना भारी सामान में लोग लेकर चल रहे थे और इल्जाम मोना उस पर लगा रही थी कि आप मजाक उसने अपने को बदल लिया था । पर रईसजादे अपने लाइसेंस राज के जेवरों की दवाई से पास नहीं आ रहे थे । गैर जरूरी भार लो टू जैसे लोग लागे घूम रहे थे और देने के लिए मौका था कि उनकी उंगली पकडकर पहुंचे तक पहुंचाया । उन को ज्ञान देकर हल्का करें और अपने काॅम भजन में इजाफा करते हैं । बोला कि बेबाक बयानी के बाद गिरजा खुद में समझ गई थी । उसको मोना का तैश में आकर ज्यादा बोलना ठीक नहीं लगा था । दैनि ने गिरजा को छोडा नहीं वैसे ही रहने दिया । उसका सारा ध्यान अब अगले चौबीस घंटों पर था । इसके दौरान उसे लोटों के दोस्तों को अपना मुरीद बनाना था । इस बार वो उनके साथ को एक अजनबी की तरह आया था और अगली बार वो उनके राजदार और हमदम की हैसियत से आना चाहता था । पैसे से काबली चमक चाहती है । पैसे वाला होना अपने में काबिलियत नहीं होती है । लो टू इसीलिए उसको ढूंढता हुआ आया था । टैनी में काबिलियत थी पैसे से वो उसको चमकाकर अपनी एक बेहतरीन पहचान बना सकता था जिससे उसे किसी के पास जाने की जरूरत ना पडे बल्कि लोग उसके पास आने को मजबूर हो जायेंगे । अगली सुबह फॅसने पर लग गया । हालांकि होटल में खाना और रहना मस्त था फिर भी जानबूझकर डैनी ने पूरा बिल ही नहीं बडा बल्कि उसके साथ बडी बक्शीश भी छोडी थी । उसने तफ्सील से दिल्ली के कारोबार के बारे में बात की थी और महत्व बातों में उसे तमाम तरीके बताए थे जिनसे वो अपनी लागत घटाकर ज्यादा मुनाफा कमा सकता था । तकनीकी ताने वाले में उसने दिलीप को ऐसा फसा दिया था कि नाश्ता खत्म हो । नेता उसको डैनी की सख्त जरूरत महसूस होने लगी थी । दलित के बाद फॅमिली में सभी की तरफ रुख किया था । उसने उससे कपडों के थोक और खुदरा बाजार पर बात की थी । उसने सभी को बताया था कि महंगे कपडे बेचने में वायदा कम होने जा रहा था और असली मुनाफा सस्ते रोजाना पहने जाने वाले कपडों में था । आर्थिक उदारीकरण आने की वजह से आम लोगों के पास खर्च करने के लिए अब ज्यादा पैसे थे । इसको एक और महंगा कपडा खरीदने में नहीं लगाने वाले थे । उनको रोज बढिया कपडे चाहिए थे । उनके बजट में आ जाए । सेबी को ऐसे सस्ते और आकर्षक कपडे बनाने चाहिए थे । ये लोग एक खरीदने जाए तो और खरीद कर लौटे । सभी ने डैनी को ध्यान से सुना था और फिर कबूला । वो अपना कारोबार बढाने की सोच तो रहा था और उसको तरीका नहीं सूझ रहा था । हमें जल्दी मिलना होगा । उसमें दे नहीं रहा । बेहद अपनेपन से दबाते हुए कहा था आपने और समय बर्बाद नहीं कर सकता है । अच्छा हुआ तो मुझे मिल गए । अब कुछ करेंगे । बाद में वो आशा को तैराने ले गया था और अर्चना के साथ उसने बीआरपी थी । दोपहर के खाने के वक्त उसने प्रिटी से दोस्ती काट ली थी । सबके फोन नंबर उसने डायरी में लिख लिए थे । ये वो नंबर थे जो उसकी पार्टियों में खाली जगह भरने के काम आने वाले थे । गोवा से डैनी खुश नहीं था । उसने अपने लिए अमीरजादों के बीच ठीक ठाक जगह बना ली थी । उनको अपनी जरूरत महसूस करा दी थी । अभी बहुत कुछ करना बाकी था । पर मिले समय में काफी कुछ हो गया था । अखिल से चलना जज्बाती होने से कहीं बेहतर था ।
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