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The Science of Getting Rich Part 1
The Science of Getting Rich Part 2
The Science of Getting Rich Part 3
The Science of Getting Rich Part 4
दाॅये लेखक ऍम अध्याय अमीर बनने का अधिकार लोग गरीबी के बारे में चाहे जो गए हैं, सच तो यही है कि अमीर बनने बिना कोई भी वाकई सुखी या सफल जीवन नहीं जी सकता । जब तक हमारे पास पर्याप्त धन नहीं हो, तब तक हम अपने महानतम क्षमता यह संभावना तक कभी बहुत ही नहीं सकते । आपने प्रतिभाओं और योग्यताओं के विकास के लिए हमें कई चीजों का उपयोग करना होता है और ऐसा हम तब तक नहीं कर सकते जब तक कि हमारे पास होने खरीदने के लिए धन है । वो लोग बहुत सी चीजों का उपयोग का और अलग अलग जगहों पर घूम कर अपने मस्तिष्, आत्मा और शरीर का विकास करते हैं । हमारे धान केंद्रित समाज में उन चीजों का उपयोग करने और उन जगहों पर जाने के लिए धन खर्च करना पडता है । हमारे दुनिया इतनी आगे निकल चुकी है और इतने जटिल बन गई है कि पहले की अपेक्षा आज एक आम आदमी को अपने महानतम संभावनाओं तक पहुंचने के लिए बहुत सारे धन की आवश्यकता होती है । पैदाइशी अधिकार जीवन का एक ही उद्देश्य होता है विकास । हर इंसान स्वाभाविक रूप से वहाँ बनना चाहता है जो बनने में वह सक्षम है । यह इंसानी स्वभाव का बुनियादी पहलू हैं । हम वहाँ बने बिना रहेगी नहीं सकते जो हम बन सकते हैं और हर जीव को विकास करने का पैदाइशी अधिकार है, जैसा विकास करने में वह सक्षम हैं । अमेरिका के संस्थापकों ने इसे खुशी की खोज कहा था । हर इंसान को उन सारी चीजों के ऐसे मत उपयोग का पूरा अधिकार है जिसकी आवश्यक का उसे अपने पूर्ण मान सिंह आध्यात्मिक और शारीरिक विकास के लिए है । संक्षेप में हम सभी को अमीर बनने का अधिकार है । इस पुस्तक में मैं कोई दास ने क्या साहित्यिक बातें नहीं कर रहा हूँ । मैं सिर्फ मनोविज्ञान या भावनात्मक दौलत की बात नहीं कर रहा हूँ । सचमुच अमीर बनने का थोडे से ही संतुष्ट हो जाना नहीं है । किसी को भी थोडे से ही संतुष्ट नहीं होना चाहिए । वह भी तब जब वह अधिक का उपयोग कर सकता हूँ और आनंद उठा सकता हूँ । प्रकृति का उद्देश्य समझता जीवन को आगे ले जाता था और विकास करना है जिसका अर्थ है कि हर इंसान के पास हुआ है । सब होना चाहिए जो उसके जीवन की शक्ति शुरू की सुंदरता और समृद्धि में योगदान दे सके । इससे कम में संतुष्ट होना प्रकृति की मंशा के विरुद्ध है । अधिक अमीर जीवन की इच्छा अमीर बनने की इच्छा में कुछ भी गलत नहीं है । यह तो दरअसल अधिक समय पूर्व और प्रतोष जीवन जीने की इच्छा है और यह क्या पसंद नहीं है । जो भी वैसा जीवन जीना चाहता है, जिस से जीने में वह सक्षम हैं वह अमीर है । समस्या सिर्फ यह है कि जिस इंसान के पास अधिक धन नहीं है वह हमारी दुनिया में अपने सारी मनसाही चीजें हासिल नहीं कर सकता हूँ । जो भी उन सारी चीजों को खरीदने के लिए पर्याप्त धन नहीं चाहता हूँ, वह अपने सच्ची प्रकृति को नकार रहा है । जीवन में सफलता का मतलब है वह है बनना जो आप बनना चाहते हैं और आप वहाँ तभी बन सकते हैं जब आप चीजों का उपयोग करें और आप चीजों का खुलकर उपयोग का भी कर सकते हैं । जब आपके पास उन्हें हासिल करने के लिए पर्याप्त बोलत हो, इसलिए अमीर बनने के विज्ञान की समझ आवश्यक है । यह सबसे अनिवार्य ज्ञान है । पूरी तरह जीना । हमें अस्तित्व के तीन पहलुओं के विकास की आवश्यकता होती है । शरीर मस्त, फिर और आत्मा । इनमें से कोई भी दूसरे से बेहतर या अधिक पवित्तर नहीं है । ये सभी समान रूप से वांछनीय है । तीन हो शरीर मस्ती किया आत्मा मैं ऐसे ही कोई भी एक तब तक पूरी तरह विकास नहीं कर सकता जब तक बाकी में से कोई एक भी पूर्ण जीवन और अभिव्यक्ति से वंचित हो । सिर्फ आत्मा के लिए जीना और मस्ती किया । शरीर को नकार देना नहीं तो सही है । नहीं, महानता है । इसी तरह सिर्फ मुद्दे के लिए जीना और शरीर या आत्मा को नकार देना भी गलत है । हम सभी ने शरीर के लिए जीने और मस्तिष्क मैं आत्मा दोनों को नकारने के दर्द भरे परिणाम देखे हैं । हम आसानी से इस नतीजे पर पहुंच सकते हैं की संपूर्ण जीवन जीने का अर्थ है तीनों की संपूर्ण अभिव्यक्ति । चाहे कोई कुछ भी कहे, कोई भी इंसान तब तक सब जोधपुर या संतुष्ट नहीं रह सकता जब तक कि उसका शरीर हर लिहाज से पूरी तरह नहीं जी रहा हूँ । यही बात उसके मस्जिद और आत्मा के बारे में भी सकता है । जहाँ भी कोई संभावना व्यक्त नहीं हो पाती या कोई काम अधूरा रह जाता है, वहां हम ऐसा तो इच्छा महसूस करते हैं । इच्छा की परिभाषा हम इस तरह दे सकते हैं ऐसी संभावना जो अभिव्यक्ति खोज रही हो या ऐसा कम जो प्रदर्शन का अवसर खोज रहा हूँ । कोई भी इंसान अच्छे भोजन, आरामदेह वस्त्रों और सुरक्षित छत के बिना शारीरिक दृष्टि से अच्छी तरह नहीं जी सकता । कोई भी परिश्रम की आती के साथ सबसे नहीं रह सकता । हमारे शरीर को समय समय पर आराम और मनोरंजन की आवश्यकता होती है । कोई भी इंसान वो देख सेहत रिया के बिना पूछता हूँ । क्या मीडिया के अध्ययन के लिए पर्याप्त समय के बिना और यात्रा हूँ? वह उन के अवलोकन के अवसरों के बिना मानसिक दृष्टि से पूरी तरह नहीं जी सकता । वास्तव में मानसिक स्तर पर पूरी तरह जीने के लिए हमें अलग अलग चीजों में रूचि लेनी चाहिए । हमें कला और सौंदर्य से जुडी तमाम चीजों से सुबह को घर लेना चाहिए ताकि हम उन का उपयोग कर सकें और आनंद ले सकें । आत्मा में पूरी तरह जीने के लिए हमारे पास प्रेम होना चाहिए और प्रेम पूरी तरह तब तक व्यक्त नहीं हो सकता जब तक कि हम गरीबी में फंसे हुए हूँ । ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रेम की सबसे स्वाभाविक और सहज अभिव्यक्ति देने में है । हमें सबसे अधिक खुशी उन लोगों को जीवन का आनंद देने से मिलती है जिनसे हम प्रेम करते हैं । जिन लोगों के पास देने के लिए कुछ नहीं होता । वे जीवन साथी, माता पिता, नागरिक या इंसान के रूप में । दरअसल आपने भूमिका कभी नहीं निभा पाते । स्पष्ट है, बहुत चीजों का उपयोग करके ही इंसान शरीर के लिए पूर्ण जीवन पाता है, मस्तिष्क का विकास करता है और आत्मा को मुक्त करता है । इसलिए अमीर बनना हम सबके लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण है । अपना कर्तव्य नहीं बहाना यदि आप अमीर बनना चाहते हैं तो आपकी यह इच्छा बिल्कुल सही है । अगर आप सामान्य व्यक्ति है तो आप ऐसा किए बिना रहेगी नहीं सकते । यह बिल्कुल सही है कि आप अमीर बनने के विज्ञान पूरा पूरा ध्यान नहीं, क्योंकि यही तो सबसे बुनियादी ज्ञान है । वास्तव में इस ज्ञान को नजर अंदाज करना स्वयं के प्रति, केश्वर के प्रति और मानवता के प्रति अपने कर्तव्य में लापरवाही करना है । क्योंकि आप ईश्वर और मानवता की जो सर्वोच्च सेवा कर सकते हैं, वह हैं अपना अधिकतम विकास करना । सारा जब तक हमारे पास पर्याप्त दौलत नहीं हो, तब तक हम अपने महानतम क्षमता या संभावना तक कभी नहीं पहुंच सकते । अपने प्रतिभाओ और योग्यताओं के विकास के लिए हमें कई चीजों की आवश्यकता होती है और हमें ऐसा तब तक नहीं कर सकते, जब तक कि हमारे पास होने खरीदने के लिए धन है वो अमीर बनने की इच्छा दरअसल अधिक समृद्ध, पूर्ण और प्रतुल जीवन जीने की इच्छा है और यह अच्छा पसंद नहीं है । कोई भी इंसान तब तक सचमुच खुशियाँ संतुष्ट नहीं रह सकता जब तक कि उसके शारीरिक जीवन में सम्पूर्णता नहीं हूँ । यही बात उसके मस्तिष्क और आत्मा के बारे में भी सही है । यह बिल्कुल सही है कि आप अमीर बनने के विज्ञान और पूरा पूरा ध्यान नहीं, क्योंकि यही तो सबसे बुनियादी ज्ञान है आप और मानवता की जो सर्वोच्च सेवा कर सकते हैं । सुबह का अधिकतम विकास करना ऍम अध्याय तो अमीर बनने का एक विज्ञान होता है । हिंदी और ऍम अमीर बनने का भी एक विज्ञान होता है । यह भी रसायन शास्त्र या गणित जितना ही सटीक विज्ञान है । इसके कुछ निश्चित नियम होते हैं और जो कोई भी इन नियमों को सीखेगा और इनका पालन करेगा वह निश्चित रूप से अमीर बन जाएगा । इस बारे में कोई संदेह नहीं है । एक विशेष तरीके से काम करने पर ही धन और संपत्ति हासिल होती है । जो लोग जाने अनजाने में इस विशेष तरीके से काम करते हैं वो अमीर बन जाते हैं । दूसरी ओर जो लोग एक विशेष तरीके से काम नहीं करते हैं । वे चाहे कितने ही कडी मेहनत करें या कितने ही योग्य हो वो गरीब ही बने रहते हैं । यह विज्ञान उस प्राकृतिक नियम पर आधारित है जो कहता है सामान कारणों से हमेशा समान परिणाम मिलते हैं । यह नियम गुरुत्वाकर्षण के नियम या किसी भी अन्य प्रकृतिक नियम की तरह ही काम करता है । यह है हर व्यक्ति पर हर जगह समान रूप से लागू होता है । हर इंसान के पास इसके अनुरूप काम करने या इसे नजरअंदाज करने का विकल्प होता है । लेकिन इसके परिणाम हम सभी को अवश्य मिलते हैं । इसलिए जो व्यक्ति अमेरि लाने वाले कारण पैदा करना सीख लेता है वह अपने आप अमीर बन जाएगा । चाहे वह कोई भी हो । माहौल महत्वपूर्ण नहीं है । आप कहीं भी अमीर बन सकते हैं । अमीर बनने का परिवेश या माहौल से कोई संबंध नहीं है । अगर ऐसा होता तो किसी विशेष क्षेत्र में रहने वाले सभी लोग धनवान होते । एक शहर के सभी लोग अमीर होते हैं जबकि दूसरे शहर में हर कोई गरीब होता या किसी एक राज्य में रहने वाले लोग धन की नदी में नहा रहे होते हैं । जबकि पडोसी राज्य के नागरिक गरीबी के दलदल में फंसे होते हैं । बहरहाल ऐसा नहीं होता है । हर जगह हमें अमीर गरीब लोग एक ये परिवेश में पास पास रहते हुए और अक्सर एक ही जैसे काम करते हुए मिल जाते हैं । जब दो लोग एक ही क्षेत्र में एक ही व्यवसाय में लेकिन उनमें से एक अमीर बन जाए और दूसरा गरीब बना रहे तो इससे यह साबित हो जाता है कि बुनियादी तौर पर अमीर बनने का परिवेश से कोई संबंध नहीं है । हो सकता है कि कोई विशेष माहौल उन्नति के लिए बाकी से बेहतर हूँ । लेकिन जब एक ही व्यवसायी वाले दो लोग आस पास ही काम करें और उनमें से एक अमीर बन जाए जबकि दूसरा आया सफल हो जाए तो इससे संकेत मिलता है कि अमीर बनने का बुनियादी कारण कुछ हो रही है । इसका योग्यता से कोई संबंध नहीं है । अमीर बनने का संबंध इस बात से भी नहीं है कि कोई कितना योग्य है क्योंकि जबरदस्ती योग्यता वाले कई लोग भी गरीब रह जाते हैं, जबकि बहुत कम योग्यता वाले कुछ लोग अमीर बन जाते हैं । वास्तव में अमीरों के अध्ययन से पता चलता है कि वे काफी ओसत होते हैं और उनमें सामान्य लोगों से अधिक योग्यताएं या गुड नहीं होते वे किसी विशेष योग्यता के कारण अमीर नहीं बनते बल्कि इसलिए अमीर बनते हैं क्योंकि वे एक विशेष तरीके से काम करते हैं जो धन पैदा करता है । इसका किफायत से कोई संबंध नहीं है । अमीर बनने का संबंध इस बात से भी नहीं है कि आप ऐसा कैसे खर्च करते हैं । बहुत से किफायती लोग गरीब होते हैं जबकि खुले हाथों से खर्च करने वाले लोग अक्सर अमीर बन जाते हैं । अमीर बनने का कारण दूसरों से अलग व्यवसायिक करना भी नहीं है, क्योंकि दरअसल एक ही व्यवसाय करने वाले दो लोग ठीक एक ऐसा काम करते हैं, लेकिन उनमें से एक अमीर बन जाता है, जबकि दूसरा गरीब ही रहता है या दिवालिया हो जाता है । इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि अमीर बनना एक विशेष तरीके से काम करने का परिणाम है और यदि कोई उस विशेष तरीके से काम करने पर अमीर बन जाता है तो फिर हम जिस बारे में बात कर रहे हैं, वहाँ एक विज्ञान है । यह कठिन नहीं है । अब सवाल यह उठता है कि क्या यह है विज्ञान इतना कठिन है कि हर कोई इसमें पारंगत नहीं हो सकता । देखिए, अपने आस पास दृष्टि डालकर हम स्वयं ही इसका उत्तर पा सकते हैं । योग्य लोग अमीर बनते हैं और मुर्ख लोग भी अमीर बन जाते हैं । बौद्धिक दृष्टि से प्रतिभाशाली लोग अमीर बनते हैं और बहुत अज्ञानी लोग भी अमीर बन जाते हैं । शारीरिक रूप से बलशाली लोग अमीर बनते हैं और दुर्बल या बीमार लोग भी अमीर बन जाते हैं । स्पष्ट हैं सोचने समझने की थोडी बहुत योग्यता तो अनिवार्य गए हैं लेकिन सारे प्रमाण कहते हैं कि जिसमें भी ये शब्द पढने और समझने लाइक बुड्ढी है वह निश्चित रूप से अमीर बन सकता है । इसका संबंध आपके व्यवसाय से नहीं है । एक बार फिर किसी विशेष व्यवसाय या पेशे से अमीर बनने का कोई संबंध नहीं है । हर व्यवसाय में हर देश में कुछ लोग अमीर बन जाते हैं जबकि वही काम करने वाले उसके पडोसी गरीब हो सकते हैं । वैसे यह है कि आप उस व्यवसाय में सबसे अच्छा प्रदर्शन करेंगे जिसे आप पसंद करते हैं और जो आपके व्यक्ति तब के सबसे अधिक अनुरू में है । और अगर आपने कुछ ऐसे भी हैं जो अच्छी तरह विकसित हैं तो आप उस काम में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे जिसमें उन दोनों का उपयोग होता है । इसके अलावा आप उस व्यवसाय में भी सबसे अच्छा प्रदर्शन करेंगे जो आपके रहने की जगह के लिए उपयुक्त हूँ । आइसक्रीम पार्लर का व्यवसाय ग्रीनलैंड के बजाय गर्म जलवायु में बेहतर चलेगा और सालमन मछली उद्योग फ्लोरिडा के बजाय पैसे फेक नॉर्थवेस्ट में अधिक सफल होगा क्योंकि फ्लोरिडा में साल मान नहीं पाई जाती । लेकिन इन सामान्य बातों के अलावा आपका अमीर बनना इस बात पर भी निर्भर नहीं होता कि आप किस व्यवसाय है । यह तो सिर्फ इस बात पर निर्भर होता है कि यहाँ एक विशेष तरीके से काम करना सीखते हैं या नहीं । अगर आप कोई व्यवसाय करते हैं और आपके क्षेत्र का हर व्यक्ति उसी व्यवसाय में अमीर बन रहा है लेकिन आप अमीर नहीं बन पा रहे हैं तो ऐसा इसलिए है क्योंकि आप उस तरीके से काम नहीं कर रहे हैं जिस तरीके से कर रहे हैं । इसका संबंध आपकी जगह से नहीं है । हाँ, जगह महत्वपूर्ण होती है । कोई भी अंटार्कटिका या सहारा के बीचोंबीच रहेगा, सफल व्यवसाय करने की उम्मीद नहीं कर सकता । अमीर बनने में लोगों के साथ जुडना शामिल होता है और वहाँ रहना भी जहाँ जुडने के लिए लोग मौजूद हूँ और अगर ये लोग आपके सामने मनचाहे तरीके से प्रस्तुत होते हैं तो आपके लिए यह अच्छा ही है । लेकिन जगह का महत्व बस इतना ही है । अगर आपके कस्बे में एक भी व्यक्ति अमीर बन सकता है तो आप भी बन सकते हैं । अगर आपके राज्य का एक भी व्यक्ति अमीर बन सकता है तो आप भी बन सकते हैं । इसमें पूंजी की आवश्यकता नहीं होती । कोई भी पूंजी या पैसे की कमी के कारण अमीर बनने से नहीं चुका हूँ । यह है कि जब आप पूंजी इकट्ठी कर लेते हैं तो यहाँ अधिक तीव्र था और सरलता से बढती है । लेकिन जिसके पास पूंजी है वह पहले से ही अमीर है और उसे यह सीखने की आवश्यकता नहीं है कि आमिर कैसे बना जाए । आप चाहे कितने ही गरीब हूँ, अगर आप इस विज्ञान के अनुसार काम करना शुरू कर देते हैं तो आप अमीर बनने लगेंगे और पूंजी इकट्ठी करने लगेंगे । पूंजी इकट्ठी करना अमीर बनने की प्रक्रिया का हिस्सा है । यह है उस परिणाम का हिस्सा है जो इस विज्ञान द्वारा बताये गई विशेष तरीके से काम करने पर हमेशा मिलता है । इसका संबंध शास्वत नियमों के पालन से है । हो सकता है कि आप अपने महाद्वीप के सबसे गरीब आदमी हूँ और गले तक ऋण में डूबे हूँ । हो सकता है कि आपके पास मित्र शक्ति यह संसाधन नहीं हूँ, लेकिन यदि आप इस तरीके से काम करने लगते हैं तो आप शर्तिया अमीर बनने लगेंगे । क्योंकि सामान कारणों के हमेशा समान परिणाम मिलते हैं । अगर आपके पास फोन ही नहीं है तो आपको पूंजी मिल सकती है । अगर आप गलत व्यवसाय में है तो आप सही व्यवसाय में पहुंच सकते हैं । अगर आप गलत जगह पर हैं तो आप सही जगह पर पहुंच सकते हैं । ऐसा करने का उपाय सरल है । अपने वर्तमान व्यवसाए और वर्तमान जगह है । मैं उस विशेष तरीके से काम करें जो हमेशा सफलता दिलाता है । आपको तो बस उन नियमों के अनुरूप जीना शुरू करना है जो पूरे प्रभान पर शासन करते हैं । सारा अमीर बनने का विज्ञान इस प्राकृतिक नियम पर आधारित है की सामान कारणों के हमेशा समान परिणाम मिलते हैं । इसलिए जो भी अमीरी लाने वाले कारण पैदा करना सीख लेता है, वह अपने आप अमीर बन जाएगा । अमीर बनने का परिवेश से कोई संबंध नहीं है । हर जगह हमें अमीर और गरीब लोग एक ही परिवेश में पास पास रहते हुए और अक्सर एक ही जैसा काम करते हुए दिखते हैं । अमीर बनने का संबंध योग्यता से भी नहीं है । जबरदस्ती योग्यता वाले कई लोग गरीब रहे जाते हैं जबकि बहुत कम योग्यता वाले कुछ लोग अमीर बन जाते हैं । अमीर बनने का संबंध फाइव से भी नहीं है । बहुत से किफायती लोग गरीब होते हैं जबकि खुले हाथों से खर्च करने वाले लोग अक्सर अमीर बन जाते हैं । यह कठिन नहीं है । जाहिर है सोचने समझने की थोडी बहुत ही हो गया था तो अनिवार्य है । लेकिन जिसमें भी ये शब्द पडने और समझने लाइट बुड्ढी है वह निश्चित रूप से अमीर बन सकता है । इसका संबंध इस बात से भी नहीं है कि आप किस नवसारी में हैं । लोग हर व्यवसाय में हर देश में अमीर बंदे हैं । हालांकि आप सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन उसी व्यवसायी में कर सकते हैं जिसे आप पसंद करते हैं और जो आपके व्यक्तित्व के सबसे अधिक अनुरूप है । इसके अलावा आप उस व्यवसायी में सबसे अच्छा प्रदर्शन करेंगे जो उस जगह के लिए उपयुक्त हूँ जहाँ उसे किया जा रहा है । लेकिन आपका अमीर बनना इस बात पर भी निर्भर नहीं होता है कि आप किस व्यवसाई में है । इसका संबंध आपके रहने की जगह से नहीं है । अगर आपके कश्मीर का एक भी व्यक्ति अमीर बन सकता है तो आप भी बन सकते हैं । अगर आपके राज्य का एक भी व्यक्ति अमीर व्यक्ति बन सकता है तो आप भी बन सकते हैं । इसमें पूंजी की आवश्यकता नहीं होती, चाहे आप कितने ही गरीब हो । अगर आप इस विज्ञान के अनुसार काम करने लगते हैं तो आप अमीर बनने लगेंगे और पूंजी करती करने लगेंगे । धर्म के सिद्धांत को जैसा हो गए वैसा काटोगे के रूप में सिखाते हैं । नाॅलेज अध्याय तीन अवसर पर एकाधिकार नहीं किया जा सकता । हिंदी ऍम कोई भी व्यक्ति इस वजह से गरीब नहीं है क्योंकि किसी दूसरे व्यक्ति ने दुनिया की सारी दौलत पर एकाधिकार कर लिया है और उसके चारों तरफ कांडो भरी बाढ लगा दी है । कंपनियाँ और बहुत लोगों को पीछे रोककर नहीं रखते हैं । अधिकतर मामलों में दूसरों के लिए काम करने वाले लोग चाहे वे मजदूर हूँ, लेकिन वो प्रबंधक हो या पेशेवर हूँ इसलिए पीछे रह जाते हैं क्योंकि वे उस विशेष तरीके से काम नहीं करते जो उन्हें अमीर बना सकता है । अमेरिका नियम उन पर भी उतना ही लागू होता है जितना कि बाकी लोगों पर । यही वजह है कि मजदूर वर्ग भी उच्च वर्ग में पहुंच सकता है, बशर्ते हुए है इस विशेष तरीके से काम करने लगे जब तक लोग इसे सीखते नहीं है, तब तक वे वहीं बने रहेंगे । जहाँ भी हैं तब तक वे अपने दिन बिताने के लिए दूसरे रहेंगे और अर्थव्यवस्था के उपर चुनाव के शिकार होते रहेंगे । इस नियम के बारे में दूसरों का आप ज्ञान हमें नीचे रोककर नहीं रखता है । अमीरी के अवसर के द्वारका अनुसान कोई भी कर सकता है और यह पुस्तक बताएगी कि ऐसा कैसे किया जाता है । आपूर्ती की कोई सीमा नहीं है । आपको अवसर से वंचित नहीं किया जा सकता है । हो सकता है कि कई बार आपको कुछ विशेष प्रकार के व्यवसाय करने से रोक दिया जाए, लेकिन आपके लिए दूसरे रास्ते हमेशा खुले रहते हैं । अवसर का द्वारा अलग अलग दिशाओं में उठता है । यह पूरे समाज की आवश्यकता हूँ और परिस्थितियों के अनुसार उठता है । जो लोग इस बहाव के विरोध करने के बजाय इसके साथ रहते हैं, उन्हें बहुत सारे अवसर मिलते हैं । दोनों की आपूर्ति की सीमाओं के कारण कोई भी गरीब नहीं रहे था । सब के लिए पर्याप्त से बहुत अधिक उपलब्ध है । सिर्फ अमेरिका में भी इतने निर्माण सामग्री उपलब्ध है कि वाशिंगटन स्थित कैपिटल दिमाग जितना बडा महल दुनिया के हर परिवार के लिए बनाया जा सकता है । अच्छी खेती द्वारा अमेरिका में है जितना हूँ का पास रेशम और संघ का कपडा पैदा हो सकता है जो दुनिया के हर इंसान को सुन्दर पोशाके पहने के लिए पर्याप्त हूँ । इसके अलावा सभी को अच्छी तरह खिलाने पिलाने के लिए पर्याप्त अनाज भी पैदा किया जा सकता है । सच तो यह है कि देखने वाली आपूर्ति होती नजर नहीं आती है और केंद्र से आपूर्ति तो सब बहुत कभी समाप्त नहीं होगी । ऐसा इसलिए है क्योंकि इस धरती पर हमें जितने भी चीजें दिखाई देती है वे सभी एक ही मूल तो उसे बनी है जिससे सारी चीजें पैदा होती है । लगातार नए रूप बनते हैं और पुराने रूप होते हैं । लेकिन सभी चीजें इसी तत्व से बनती है और इस निराकार तत्वों की कोई सीमा नहीं है । ब्रह्मांड भी इसी से बना है लेकिन प्रमाण में इस तत्वों का पूरा उपयोग नहीं हुआ है । दिखने वाले प्रमाण के स्वरूपो और इसके बीच के कुछ जगह हैं । इस मूलता तो से भरी हुई है जो सारी चीजों का कच्चा माल है जितना बन चुका है उस से दस हजार गुना अधिक बनाने के बाद भी शास्वत कच्चे माल की आपूर्ति समाप्त नहीं होगी । प्रकृति दोलत का आसिम बढ रहा है । आपूर्ति कभी कम नहीं होगी । असीम तत्व मानवता की आवश्यकता है । हमेशा पूरी करता है । बोलता तो रचनात्मक ऊर्जा से संजीव है और निरंतर अधिक स्वरूप पैदा कर रहा है । जब इमारत बनाने की वर्तमान सामग्री समाप्त हो जाएगी तो एक नई तरह की सामग्री पैदा हो जाएगी । जब मिट्टी इतनी बंजरिया कमजोर हो जाएगी कि उससे अन्य कपास की फसलें नहीं होगा, ही जा सके तो या तो इसका नवीनीकरण कर दिया जाएगा या नहीं, मिट्टी बना ली जाएगी । जब धरती के गाँव से सारा सोना चांदी बाहर निकल जाएगा तो सोने जाने की आवश्यकता होने पर उसे निराकार से पैदा कर लिया जाएगा । निराकार तो मानव जाति की हर आवश्यकता पूरी करता है । यह है उसे हर अच्छी चीज देता है । निराकार तो संजीव है और इसका मूल झुकाओ हमेशा जीवन की अधिकता की ओर रहता है । यह चेतन प्रज्ञा यानी ॅ इंटेलीजेंस है । यह सोचता है जीवन का मैं सर्किट और बुनियादी आवेग अधिक जीने की इच्छा है । विस्तार करना प्रज्ञा की प्रकृति है और चेतना हमेशा नए मोर्चे होती है । वह अधिक पूर्ण अभिव्यक्ति की चाह रखती है । ब्रह्मांड एक महान सचिव पस्थिति है । ब्रह्मांड हमेशा जीवन और पूर्व कार्यविधि की अधिकता की ओर अग्रसर रहता है । प्रकृति को जीवन के उत्थान के लिए बनाया गया है । इसका बुनियादी आधे एक जीवन को बढाना है । इस वजह से जीवन का विस्तार करने वाली हर चीज को प्रचुरता में उपलब्ध कराया गया है । मानव जाति हमेशा से बहुत बहुत अमीर है और अगर इसके बावजूद इस दुनिया के लोग गरीब हैं तो ऐसा इसलिए है क्योंकि वे काम करने की उस विशेष तरीके को नहीं अपनाते हैं जो अमीर बनाता है । कोई भी इसलिए गरीब नहीं है क्योंकि प्रकृति गरीब है या इस दुनिया में पर्याप्त चीजें नहीं है । आप दौलत की आपूर्ति में कमी के कारण गरीब नहीं है । मैं बाद में साबित करूंगा कि निराकार आपूर्ति के संसाधन भी इस विशेष तरीके से काम कर रहे हैं और सोचने वाले इंसान के आदेशों का पालन करते हैं । सारा है कोई भी व्यक्ति दूसरे लोगों के कारण पीछे नहीं रहता है । आपको अवसर से वंचित नहीं किया जा सकता । जो लोग इस बहाव के विरुद्ध करने के बजाय इसके साथ करते हैं, उन्हें बहुत सारे अवसर मिलते हैं । कोई भी व्यक्ति जिस कारण से गरीब नहीं रहता, क्योंकि दोनों की आपूर्ति सीमित है, सब के लिए पर्याप्त से बहुत अधिक उपलब्ध है । इस धरती पर हमें जितने भी चीजें दिखाई देती है । वे सभी एक ही मूल का तो उसे बनी है जिससे सारी चीजें पैदा होती है और इस निराकार तत्वों की कोई सीमा नहीं है । ब्रह्मांड एक महान सभी उपस् थिति है । ब्रह्मांड हमेशा जीवन और पूर्ण कार्यविधि की अधिकता की ओर अग्रसर रहता है । प्रकृति को जीवन के उत्थान के लिए बनाया गया है । इसका बुनियादी आवे जीवन को बढाना है । इस वजह से जीवन का विस्तार करने वाली हर चीज को प्रचुरता में उपलब्ध कराया गया है । नाॅट अध्याय चार विज्ञान का पहला सिद्धांत हिंदी उदयपुर हूँ । विचार ही एकमात्र ऐसी शक्ति है, जो निराकार तत्वों से मूर्ति दोनों पैदा कर सकती है । वास्तव में मूलता तो सिर्फ विचारों के अनुरूप ही गतिशील होता है । मूल तत्व में किसी विशेष आकार के विचार वहाँ आकार पैदा कर देते हैं । इसका मतलब है कि आप प्रकृति में जो भी आकार और प्रक्रिया देखते हैं, वह मूल तत्व में किसी ने किसी विचार के देखने वाली अभिव्यक्ति है । जब निराकार किसी आकार के बारे में सोचता है तो यह है उस आकार में बदल जाता है । जब यह गति के बारे में सोचता है तो गति में बदल जाता है । सभी चीजों का सर्जन इसी तरह हुआ है । तत्व विचार का आकार लेता है । विचारशीलता तो उस विचार का आकार लेता है । उस विचार के अनुसार गतिमान होता है और उस विचार के आकार में बना रहता है । हम विचारशील जगत में रहते हैं जो विचारशील प्रमाण का हिस्सा है । पहले गतिमान प्रमाण का विचार निराकार तत्वों में पहला फिर उस विचार के अनुसार विचारशीलता तो सक्रिय हुआ । इस ने सितारों और ग्रहों के तंत्र का आकार लिया और आज ये है उस आकार को बना कर रखे हुए हैं । हालांकि इस काम में साडियाँ लग सकती है लेकिन सूर्ये हो और ग्रहों के घूमते तंत्र के विचार की वजह से ही तब तो इनका आकार लेता है और विचार के अनुसार उन्हें गतिमान करता है । धीरे धीरे बडे होते शाहबलूत ड्रग्स के विचार की वजह से यह गतिमान होता है और उसको रक्षको उगा देता है । निराकार तो सदन करते समय गति की पूर्व स्थापित परंपराओं के अनुरूप सक्रिय होता है । दूसरे शब्दों में शाहबलूत वर्क्स का विचार तुरंत बडे पेड को पैदा नहीं कर देता हूँ । यह तो उस प्रक्रिया को गतिमान करता है जो विकास की पूर्व स्थापित परंपराओं के अनुसार पेड को पैदा करती है । आकार का हर विचार जिसे विचारशील तत्वों में रखा जाता है, उस आकार का सर्जन करता है । देखिए लेकिन ध्यान रहे रचनात्मक प्रक्रिया विकास और कर्म की पूर्व स्थापित परंपराओं के अनुसार ही चलती है । एक और उदाहरण देखें जब निराकार तत्वों पर मकान की किसी खास शैली के विचार की छाप छोडी जाती है तो वह मकान तुरंत नहीं बन जाता । निराकार तो तो अर्थव्यवस्था और समुदाय में पहले से कार्यरत ऊर्जा को उस दिशा में सक्रिय कर देता है, जिससे मकान जल्द से जल्द बन जाएगी । लेकिन मान ले ऐसा कोई तरीका या परंपरा उपलब्ध ही नहीं हो, जिसके माध्यम से सर्जनात्मक ऊर्जा काम कर सके । तब क्या होगा? ऐसी स्थिति में मकान सीधे मूलतत्व से आकार लेगा । यह जैविक और निर्जीव जगत की डिग्री प्रक्रिया की प्रतीक्षा नहीं करेगा । मानवीय विचार तत्व में आकार लेते हैं । आकार का कोई भी भी चाह, जिसके मूल तत्वों पर छाप छोडी जाये, अनिवार्य रूप से आकार को पैदा करता है । सभी लोग विचार करते हैं और इंसान के हाथ से जितने भी आकार बनते हैं, उनका अस्थि तो सबसे पहले विचारों में होता है । हम कोई चीज तब तक नहीं बना सकते हैं, जब तक की पहले उस चीज के बारे में सोच नहीं लेंगे । अब तक मानवता के सारे प्रयास पहले से मौजूद चीजों को बदलने और उनमें संशोधन करने तक ही सीमित रहे हैं । लगभग हर इंसान मौजूदा आकारों को शर्म या मशीनों से दोबारा करता है या उनका रूप बदलता है । जब लोग किसी आकार के बारे में सोचते हैं तो प्रकृति में पहले से मौजूद आकारों से सामग्री लेते हैं और उस सामग्री का रूप बदलकर अपने मन में मौजूद आकार की छवि बना लेते हैं । हम में से अधिकतर तो इस बारे में सोचते भी नहीं है कि क्या हम निराकार तत्वों पर अपने विचारों के छाप छोडकर सीधे उसी से चीजें पैदा कर सकते हैं । हम सपने में भी यह नहीं सोच पाते कि हम भी वही कर सकते हैं जो संसार के रचियता को करते देखते हैं । मैं साबित करना चाहूंगा कि हमें ऐसा कर सकते हैं और मैं इसका तरीका भी बताऊंगा । हम तीन बुनियादी कत्लों से शुरुआत करते हैं । सभी चीजें एक ही मूल निराकार तत्वों से बनती है । अलग अलग दिखने वाले सभी तत्व वास्तव में एक ही तत्वों के दिन संस्करण है । प्रकृति में पाए जाने वाले सभी सजीव और निर्जीव आकार बस उसे तत्वों के भिन्न भिन्न आकार हैं । तत्व में रखे गए विचार उस विचार में मौजूद आकार को पैदा करते हैं । यह करते हैं कि अगर कोई इस मूल प्रज्ञावान तो तक कोई विचार पहुंचा सके तो वह अपनी मनचाही चीज का सर्जन कर सकता है । आप पूछ सकते हैं कि क्या मैं इन खतरों को सही साबित कर सकता हूँ । विस्तार में जाए बिना मेरा जवाब यह है कि मैं ऐसा कर सकता हूँ, तारक से भी और अनुभव से भी । आगारों और विचार के अवलोकन के पीछे बढते हुए मैं तर्क द्वारा एक मूल विचारवान तो तक पहुंचा । फिर इस विचार साली तत्वों से आगे बढते हुए मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा की इंसान में उस चीज को पैदा करने की शक्ति होती है जिसके बारे में वह सोचता है । पिछले अनुच्छेदों में मैंने यही बताया है । यह तर्क प्रयोग में भी सही साबित होता है । यह है मेरा सबसे ठोस सबूत हैं । अगर इस पुस्तक को पडने वाला कोई एक व्यक्ति इसमें बताएंगे, रास्ते पर चलकर अभी बनता है तो यह मेरे दावे के सही होने का सबूत हैं । लेकिन अगर इस पुस्तक को पडने वाला हर व्यक्ति इसमें बताए गए रास्ते पर चलकर अमीर बन जाता है तो यह पक्का सबूत हैं । यह तब तक सही है जब तक की यह प्रक्रिया अपनाने के बावजूद कोई व्यक्ति असफल हो जाए । यह सिद्धांत तब तक सकता है जब तक की प्रक्रिया है, सफल नहीं हो और यह प्रक्रिया असफल नहीं होगी क्योंकि जो भी व्यक्ति ठीक उस तरह काम करेगा जैसा कि जिस पुस्तक में बताया गया है तो वह अवश्य अमीर बनेगा । क्या सोचना है, यह सीखना ही है । मैंने कहा है कि लोग एक विशेष तरीके से काम करके अमीर बनते हैं । उस तरीके से काम करने के लिए लोगों को एक विशेष तरीके से सोचना सीखना होगा । हमारे काम करने का तरीका हमारे सोचने के तरीके का सीधा परिणाम है । इसलिए आप जिस तरह से काम करना चाहते हैं, उसी तरह से उसे करने के लिए आपको उस तरीके से सोचना सीखना होगा । जिस तरह से आप सचमुच सोचना चाहते हैं और जो आप सब बहुत सोचना चाहते हैं वह हर तरह के आभाव से परे हैं, पूर्ण सबके हैं । अमीर बनने की दिशा में पहला कदम यही है । हर इंसान सोचने की शक्ति के साथ पैदा हुआ है और मनसाही चीजों के बारे में सोच सकता है । बहरहाल इसमें पर्याप्त प्रयासों की आवश्यकता होती है । हम जो देखते सुनते हैं उसके बारे में विचार करना बिल्कुल ही अलग बात है । इंद्रियों के अवलोकन के अनुसार सोचना आसान होता है । आभार से परे वाले सत्य के बारे में सोचने में मेहनत की आवश्यकता होती है और इतनी ऊर्जा के भी जितने किसी दूसरे काम में नहीं लगती । लोग साथ और निरंतर विचार से बचने की जितनी कोशिश करते हैं, उतनी किसी दूसरी चीज में नहीं करते हैं । यह दुनिया का सबसे मुश्किल काम है और यह विशेष तौर पर तब सब होता है जब उस विचार को बनाए रखना चाहते हैं जो दिखावे के विपरीत हो । लेकिन दर्शा आत्मक जगत में हर आभास अवलोकन करने वाले मस्तिष्क में एक समतुल्य आकार पैदा करता है । इसे मात्र सत्य का विचार बनाए रखते हुए रोका जा सकता है, जो आप बाहर से परे होता है । जब तक की आपकी सत्य पर विचार नहीं करते हैं कि इस प्रमाण में गरीबी है ही नहीं, सिर्फ प्रचुरता है । तब तक गरीबी के आवास का अवलोकन आपके मस्तिष्क करने, इसके अनुरूप आकार पैदा करता है । रोग के आवाज से घिरे होने पर सेहत के बारे में सोच नहीं या गरीबी के आवाज से घिरे होने पर अमीरी के बारे में सोचने के प्रयासों की आवश्यकता होती है । लेकिन जो व्यक्ति यह शक्ति विकसित कर लेता है, वह मास्टरमाइंड बन जाता है । ऐसे ही लोग अपने भाग्य को जीत लेते हैं और हर मनचाही चीज के मालिक बन जाते हैं । हम यह शक्ति कैसे विकसित कर सकते हैं, इसके लिए हमें सभी आवासों के पीछे की इस मूल सत्य को पहचानना होगा । एक ही प्रज्ञावान तो है जिससे सारी चीजें बनी है । फिर हमें यह भी सच्चाई समझनी चाहिए कि इस तत्व में रखा गया हर विचार आकार लेता है । कोई भी इंसान इस तत्वों पर अपने विचारों की छाप छोड सकता है । इसके बाद उसके विचार साकार होगा । देखने वाली चीजों में बदल जाएंगे । यह है सास होने के बाद हमारी सारी शंका और डर दूर हो जाते हैं क्योंकि हम जान जाते हैं कि अपने विचारों से ही हम वहाँ पैदा कर सकते हैं । जिसे हम पैदा करना चाहते हैं, वह पा सकते हैं जो हम पाना चाहते हैं और वह बन सकते हैं जो बनना चाहते हैं । इस की आदत डालना अनिवार्य है । आपको प्रमाण की बाकी सभी अवधारणाओं को एक ओर रखकर इस विचार पर तब तक सोचना चाहिए, जब तक कि यह आपके दिमाग में आदतन विचार के रूप में स्थायी तौर पर स्थापित नहीं हो जाएगा । यह कथन बार बार पढेंगे । इनके हर सबको अपनी स्मृति में बैठा नहीं और उन पर तब तक चिंतन मनन करें जब तक की आपको उस पर पूरा भरोसा नहीं हो जाएगा । अगर मन में शंका आए तो उसे दरकिनार कर दें । इस विचार के विरुद्ध दिए जाने वाले तर्कों को कतई ने सुने । उन गिरजाघरों या बैठ दिनों में नहीं जाएँ, जहाँ विपरीत विचार सिखाई जाते हैं । वे पत्रिकाएं या पुस्तकें नहीं पढे, जो कोई अलग विचार सिखाती है । अगर आपके समझ, विश्वास या आस्था बढ जाएगी तो आपके सारे प्रयास बेकार हो जाएंगे । यह पूछे कि ये बातें सच क्यों है? यह अनुमान भी नहीं लगाएं कि वे कैसे सच हो सकती है । फिलहाल तो बस उन पर विश्वास करें । अमीर बनने का विज्ञान इस बुनियादी विचार की पूर्ण स्वीकृति से शुरू होता है । सारा है सारी चीजें एक ही प्रज्ञावान तत्वों से बनी है । यह तो अपने मूल अवस्था में भगवान की सभी खाली जगहों में मौजूद है और उसे भरता है । इस तत्वों पर छोडी गई विचार की अच्छा आप उस चीज को पैदा कर देती है जिसकी छवि विचार में मौजूद होती है । इंसान के हाथ में जीतने भी आकार बनते हैं । उनका आते तो पहले विचारों में होता है । हम कोई चीज तब तक नहीं बना सकते जब तक कि पहले उस विचार के बारे में सोच नहीं लेंगे । कोई भी व्यक्ति विचार के जरिए चीजों को आकार दे सकता है और उस विचार के छाप निराकार तत्वों पर छोड कर उस चीज का सर्जन करवा सकता है । हर तरह के दिखावे और आभास से परे मन चाहे विचार में सत्य को बनाए रखना ही पूंजी है । क्वांटम भौतिकी में इन सिद्धांतों को इस तरह बताया गया है पदार्थ सिर्फ प्रेक्षक की उपस्थिति में ही मौजूद होता है । हर वस्तु अनुभूति के फलस्वरूप क्वांटम क्षेत्रीय अगस्तर से आकार लेती है । धन्यवाद हिंदी ऍम आप का दिन शुभ हो ।