Audio Book | 58mins
Chapter 1 MP3
Chapter 2 MP3
Chapter 3 MP3
Chapter 4 MP3
Chapter 5 MP3
Chapter 6-7 MP3
हाल फ्रेंड्स हिंदी और ये बुक में आपका स्वागत है । आज हम ऍम के द्वारा लिखित पुस्तक ॅ सुन रहे हैं । जेम्स एलन का जन्म सन् अठारह सौ चौंसठ में इंग्लैंड की लीसेस्टर में हुआ था । उनके पिता का देहांत उनके बचपन में ही हो गया था जिससे उन पर वहाँ उनके परिवार मुश्किलों का पहाड टूट पडा था । ऐसी परिस्थितियों में उन्हें मात्र पंद्रह साल की आयु में हैं । पढाई बीच में ही छोडनी पडी थी । सालों तक आते आते हैं । उन्होंने फैसला किया कि अब वे केवल लिखने का ही कार्य करेंगे । इस दौरान उन्होंने अपने लेखन कार्य को कॉन्ट्रैक्टर्स के माध्यम से भी किया । आपने पहली पुस्तक पाॅवर पूरी करने के बाद वे इंटरा को जो कि इंग्लैंड का दक्षिणी पश्चिम तट है, वहाँ पर आकर बस गए थे । जेम्स वहाँ अपने मृत्युपर्यंत साल उन्नीस सौ बारह तक रहे । फॅसने अपने जीवन में उन्नीस बेहद सफल विज्ञान वर्तक पुस्तके लिखी है । आज आप जिस पुस्तक ऍम केट को सुनने जा रहे हैं, ये है उनकी सर्वश्रेष्ठ पुस्तक मानी जाती है । यह पुस्तक विचार की शक्ति पर एक निबंध नहीं है बल्कि ध्यान, खोज और अनुभव का बहुआयामी फल है । यह पुस्तक सभी स्त्रियों और पुरुषों को इस सत्य को खोजने में मदद करने की पूंजी है कि वे समय खुद के निर्माता है । वे अपने सुख, दुख, विज्ञान, अज्ञान के मुख्य शिल्पकार, उनके खुद के विचार ही होते हैं । इनका निर्माता उनका खुद का मन ही होता है । जाॅन इंग्लैंड अध्याय, विचार और चरित्र हिंदी हॅूं । हम वैसे ही हैं जैसा हम अपने मन में सोचते हैं । इस मुहावरे ने केवल हमारे संपूर्ण अस्तित्व को ही नहीं समझता है बल्कि यह हमारे सम्पूर्ण जीवन की हरेक दशा, दिशा और परिस्थितियों पर पूर्ण रुपए खरा उतरता है । हमारा चरित्र हमारे संपूर्ण विचारों का ही संपूर्ण फल है । हम वास्तव में वही है जो हम सोचते हैं जैसे बिना बीस के पूरा नहीं हो सकता । उसी तरह हमारे विचारों में छिपे हुए बीजों के बिना हमारा कोई भी कर मुक्त नहीं हो सकता । यह सूत्र उन सभी कर्मों पर भी बिना शर्त लागू होता है जिन्हें हम स्वप्रेरित या पूर्वनियोजित या फिर जी ने सोच समझकर किया जाता है । विचारों का मूल कर्म है और यही हमारे सुख तू का फल है । अच्छा हम जो विफल पाते हैं, चाहे वो मीठे हो, क्या कर रहे हैं? ये सभी हमारे विचारों का ही परिणाम होते हैं । हम आप जो भी है, वह सब हमारे मन में उत्पन्न होने वाले विचारों के द्वारा रचित और निर्मित हैं । यदि हम अपने मन में अज्ञान से ओतप्रोत बुरे विचारों को पनपने देते हैं और सादा उन्हें ही पालते रहते हैं तो हम अपनी हो दुःख दर्द को ही आकर्षित कर रहे हैं और जल्द ही हम दुख से घिरे होंगे, जो हमारे पूरे विचारों का ही परिणाम होगा । इसके विपरीत यदि हमारे मन में हम स्वस्थ और हितकर विचार रखेंगे तो आनंद और सुख हमारा उसी तरह पीछा करेंगे जैसे धूप में परछाई हमारा पीछा करती है । पुरुष और स्त्री किसी नियम के द्वारा कौशल से रची रचना नहीं है, बल्कि ये तो उन्नति है । विचारों का जितना प्रभाव पूर्ण और दृढ पर लोग नहीं है, उतना ही प्रभाव इस बहुत एक जगह में भी है । एक महान और इस सूर्य चरित्र कोई सहयोग से नहीं उत्पन्न होता, बल्कि वह लगातार सही ईस्वरीय विचार सोचने और उनसे लगातार संबंध बनाए रखने से संभव है । इसी प्रक्रिया के द्वारा नीच और पशु प्रति वाले मनुष्य लगातार घोषित किए जा रहे हैं । जो दोस्त है, घृणित विचारों का ही परिणाम है । हम खुद के विचारों के द्वारा ही अच्छे या बुरे इन्सान बनते हैं । हमेशा हम अपने विचारों की शास्त्र साला में उन शस्त्रों का संधान करते रहते हैं, जिनका प्रयोग हम हमेशा अपने नाम के लिए करते रहते हैं । हम उन उपकरणों को भी बनाते रहते हैं, जिनके द्वारा हम अपने जीवन को सुखद आनंद में और शांति में बनाते हैं । वह साथ ही साथ समाज को भी इसका लाभ देते हैं । हम सही विचारों के चुनाव से मैं उनके सच्चे प्रयोग के द्वारा दिव्यता और पूर्ण तक पूछ सकते हैं । गलतिया पूरे विचारों के प्रयोग के द्वारा हम परसों से भी नीचे स्तर तक गिर सकते हैं । इन दोनों चरण चरित्रों के बीच में ही सभी चरित्र स्तर होते हैं जिनके निर्माता कार्य अगर पालक स्वामी हम स्वयं होते हैं । इस युग की सबसे ऊर्जावान ताकत, वार, विश्वास से भरा हुआ दिव्य वचन और दिल को शुक देने वाला आत्मा से संबंधित यह सकते हैं कि तुम अपने विचारों के मालिक, चरित्र को डालने वाले अपने परिस्थिति, वातावरण् और भाग्य के कार्यक्रम और रचियता खुद हो । शक्ति, बुद्धि और प्रेम की सत्ता और स्वयं के विचारों के स्वामी तो खुद हो और तुम्हारे पास ही रूपांतरणकारी । मैं पुनरुत्थान की शक्ति है जिसके द्वारा तुम खुद को हो बनाते हो, जो बनाना चाहते हो हर परिस्थिति को नियंत्रित करने की चाबी तुम्हारे हाथों में है तो आपने हर हाल के स्वामी होते हो । यहाँ तक की अपनी सबसे कमजोर और दुराचारी परिस्थिति के मालिक भी तुम को नहीं होते हो । उस समय तो मैं कमजोर और बेकार मूर घर के मालिक होते हो जो अपने परिवार को गलत ढंग से चला रहा होता है । जब तुम अपने इस दशा के बारे में सोचते हो और उसके उत्तर को जिससे तुम्हारा ऐसे तो है को अपनी पूरी ताकत लगाकर ढूंढते हो । तब तो मैं बुद्धिमान स्वामी के नजरिए से अपनी सभी शक्तियों को बुद्धिमतापूर्वक निर्देशित करते हो और अपने विचारों को एक सुखद फलदायी रूप देने लगते हो । इसे ही एक बुद्धिमान जागरूक मालिक कहते हैं जो अपने विचारों के नियमों को खोज कर अपने जीवन को सही दिशा देता है । इस प्रकार खोज पर योग, आत्मविश्लेषण और अनुभव के द्वारा अपने विचारों के सुख खोज कर आप भी एक बेहतरीन मालिक बन सकते हैं । आप जानते हैं कि सोने और हीरे को खोजने के लिए गहन खनन करनी पडती है । इसी तरह तो अपनी आत्मा की खान में गहरा होगी । तभी आपने अस्तित्वों से जुडे हर सत्य जानता हो गई । यदि तुम अपने विचारों को देखो, नियंत्रित करो और उन्हें बदलते हूँ और दूसरों में अपने जीवन और परिस्थितियों में हो रहे बदलावों के कारण और प्रभावों को महसूस का देखकर धर्यपूर्ण अभ्यास और फरक करूँ । अपने हर अनुभव हो । यहाँ तक कि हर दिल के छोटे छोटे बदलावों को भी स्वयं के बारे में आए बदलावों के बारे में जानने के लिए प्रयोग करो जिससे समझ, बुद्धि और शक्ति जो तुम्हें प्राप्त हो रही है उसे महसूस करूँ । फिर तुम शायद बिना चुके इस सत्य को सिद्ध कर सकते हो कि तुम अपने चरित्र को बनाने वाले हो, अपने जीवन को सही सांसे में डालने वाले हो और अपने भाग्य के निर्माता तुम ही हो । इस दिशा में आगे बढते हुए यह नियम परम सकते हैं कि जो खोजेंगे उन्हें अवश्य मिलेगा तो दस तक देंगे । उनके लिए दरवाजे आवश्यक लेंगे क्योंकि दृढता, धैर्य और अभ्यास के द्वारा ही तो विज्ञान के उज्जवल मंदिर में प्रवेश कर सकते हो । धन्यवाद हिंदी ऍम आप का दिन शुभ हो