Audio Book | 294mins
Introduction | Secrets of the Millionaire Mind in Hindi Audio Book T Harv Eker
Part 1 | Secrets of the Millionaire Mind in Hindi Audio Book T Harv Eker
Part 2 | Secrets of the Millionaire Mind in Hindi Audio Book T Harv Eker
Part 3 | Secrets of the Millionaire Mind in Hindi Audio Book T Harv Eker
Part 4 | Secrets of the Millionaire Mind in Hindi Audio Book T Harv Eker
Part 5 | Secrets of the Millionaire Mind in Hindi Audio Book T Harv Eker
Part 6 | Secrets of the Millionaire Mind in Hindi Audio Book T Harv Eker
Part 7 | Secrets of the Millionaire Mind in Hindi Audio Book T Harv Eker
सीक्रेट आपदा मिलेनियर मायन दौलत के खेल में चैंपियन कैसे बने टी हावर का हिंदी ऍम यह व्यक्ति हावरे कर कोन है और मुझे यह पुस्तक के ऊपर नहीं चाहिए । मेरे सेमिनारों की शुरूआत में लोगों को झटका लगता है । जब मैं उनसे यह कहता हूँ मेरे एक ही शब्द पर भरोसा मत करना । मैं यह सुझाव क्यों देता हूँ? क्योंकि मैं सिर्फ अपने अनुभव से ही बोल सकता हूँ । मैं जो भइया उदाहरण आएँ और ज्ञान के विचार बताता हूँ, वे अपने आप में सचिन याद रूप सही या गलत नहीं है । मैं तो बस इतना बताता हूँ कि इन सिद्धांतों पर चलने से मुझे और मेरे हजारों विद्यार्थियों को जीवन में क्या आश्चर्यजनक परिणाम मिले? बहरहाल मुझे पूरा यकीन है कि अगर आप इस पुस्तक में दिए गए सिद्धांतों का प्रयोग करेंगे तो आप के जीवन में आमूलचूल परिवर्तन हो जाएगा । इस पुस्तक को सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं सोने । इसे तो इस तरह सुने मानो आपकी पूरी जिंदगी इस पर निर्भर हो । फिर आप अपने जीवन में इन सिद्धांतों को आजमाकर देखें । जो सिद्धांत आपके लिए कारगर साबित हो, उन्हें जारी रखे हैं । जो कारगर साबित नहीं हो, उन्हें छोड नहीं । जाहिर है, इस मामले में मैं पूर्वाग्रह का शिकार हो सकता हूँ । लेकिन मेरा मानना है कि धन के मामले में यह आपके द्वारा सुनी गई सबसे महत्वपूर्ण पुस्तक हो सकती है । मैं जानता हूँ यह बडबोलापन लग सकता है । लेकिन सच्चाई तो यही है कि यह पुस्तक सफलता की आपकी इच्छा और उस की प्राप्ति के बीच की कोई हुई कडी के बारे में बताती है । जैसा शायद आप अब तक की जिंदगी में जान ही चुके होंगे । अच्छा और उपलब्धि के बीच बहुत बडा फासला होता है । बेशक आपने दूसरी पोस्ट के भी पढी होंगी, सीडी या टेप सुने होंगे, कई कोर्सों में गए होंगे और रियल इस्टेट, शेयर बाजार या बिजनेस के क्षेत्र में अमीर बनने की ढेर सारी तकनीके सीखी होंगे । लेकिन क्या हुआ? ज्यादातर लोगों के मामले में ज्यादा कुछ नहीं हुआ । उन में तो बस थोडे समय के लिए ऊर्जा की एक लहर आई और इसके बाद वे जल्दी ही पुरानी स्थिति में लौट आए । आखिरकार एक जवाब मिल गया है, यह सरल है । यह नियम है और आप इसे गलत साबित नहीं कर सकते हैं । असल बात यह है अगर आपके अवचेतन मन का वित्तीय ब्लूप्रिंट सफलता पाने के लिए निर्धारित नहीं है तो आप चाहे जितना सीख लें, चाहे जितना जान ले, चाहे जो कर लें किसी चीज से ज्यादा फर्क नहीं पडेगा । इस पुस्तक के पन्नों में हम आपके सामने यह रहस्य खोलेंगे की कुछ लोगों का अमीर बनना और बाकी लोगों का गरीब बने रहना क्यों तय होता है? आप सफलता दोयम था या वित्तीय असफलता के मूल कारणों को समझेंगे? जाहिर है इसके बाद आप अपने भविष्य को बेहतर बनाने की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं । इस पुस्तक में आपको यह भी जानकारी मिलेगी कि बचपन में हम पर पडे प्रभाव किस तरह हमारा वित्तीय ब्लूप्रिंट तैयार करते हैं और हमें ऐसा फल का दिलाने वाले विचारों तथा आदतों की ओर ले जाते हैं । इस पुस्तक में हमने कुछ सशक्त घोषणाएं बताई है जिसकी मदद से आप अपने दिमाग के बिल कर रखी, बेकार की दौलत की फाइलों को बदलने ताकि आप भी अमीरों की तरह सोचे और सफल हो सकें । इस पुस्तक में आप अपनी आमदनी बढाने और दौलत बनाने की व्यावहारिक कदम दर कदम रणनीतियां भी सीखेंगे । इस पुस्तक के खंड एक में हम स्पष्ट करेंगे की हम में से हर व्यक्ति को पैसे के बारे में सोचने और काम करने के लिए किस तरह कंडीशन किया गया है । यहाँ हम धन के मानसिक ब्लूप्रिंट को बदलने की चार मुख्य रणनीतियों की रूपरेखा भी बताएंगे । खंड दो में हम यह जांच करेंगे कि पैसे के बारे में आमिर मध्यमवर्गी है और गरीब लोगों की सोच में क्या अंतर होता है । यहाँ हम सत्रह रिश् टिकोण और तरीके बताएंगे जिनसे आपकी आर्थिक स्थिति हमेशा के लिए बदल जाएगी । पूरी पुस्तक में हम अपने हजारों विद्यार्थियों से मिले पत्रों और ईमेल्स के चुनिंदा उदाहरण भी देंगे, जिन्होंने दे मिलेनियर माइंड आप इन्टेंसिव सेमिनार में भाग लेने के बाद अपने जीवन में जबरदस्त सफलता हासिल की है तो मेरा अनुभव किया है । मैं कहाँ से आ रहा हूँ? क्या मैं हमेशा से सफल था? काश ऐसा ही हुआ होता आपने । ऐसे कई लोगों की तरह मुझे भी बहुत सी क्षमता नजर आती थी, लेकिन परिणाम नजर नहीं आते थे । मैंने दुनिया की तमाम पोस्ट के बडे तमाम देवसोम डाले और हर सेमिनार में गया । मैं वाकई सफल होना चाहता था । मुझे सफल होने का एक तरह से जुनून था । हालांकि मैं यह नहीं जानता था कि मैं सचमुच क्या चाहता हूँ । क्या ये है धन की चाहत थी, स्वतंत्रता की चाहत थी, कुछ हासिल करने का एहसास था या अपने माता पिता के सामने यह साबित करने की तमन्ना थी की मैं भी कुछ कर सकता हूँ, चाहे जो हो । बीस साल की उम्र के बाद मैंने कई अलग अलग बिजनेस शुरू की है । हर बिजनेस दोनों के सपनों के साथ शुरू होता था । लेकिन परिस्थितियां और परिणाम मत से बदतर होते जा रहे थे । जी तोड मेहनत करने के बाद भी मैं बंगाल ही बना हुआ था । मुझे कंगाली का बहन कर रोक था । मैंने मुनाफे नाम की चीज के बारे में सुना तो था लेकिन यह है मुझे कभी देखी नहीं थी । उस वक्त मैं सोचा करता था काश मुझे यह बिजनेस मिल जाए । सही घोडा पहचान में आ जाए तो मैं कामयाब हो जाऊंगा । लेकिन मैं गलत था । कोई चीज काम नहीं कर रही थी । कम से कम मेरे लिए और उस वक्त के आखिरी हिस्से ने आखिरकार मुझे भीतर तक हिला दिया । मैं सोचने लगा कि मैं जिस बिजनस में था उसमें बाकि लोग सफल हो रहे थे । फिर मैं क्यों करता था श्रीमान क्षमतावान की हालत खराब, क्योंकि इसलिए मैंने गंभीरता से चिंतन किया । मैंने अपनी असली अवधारणाओं की जांच की और यह पाया की हालांकि मैं कहता जरूर था की मैं सत्वों समीर बनना चाहता हूँ । लेकिन इसे लेकर मेरे मन में कुछ चिंताएं थी, जिनकी जडें बहुत कह रही थी । मैं दरअसल बहुत सारा हुआ था इस बात से कि मैं सफल हो सकता हूँ या इससे भी बुरी बात यह है कि सफल होने के बाद अपनी सारी दौलत करवा दूंगा, जिससे मैं सचमुच मूर्ख साबित हो जाऊंगा । इस तरह में अपनी उस छवि को भी मटियामेट करनाल होगा, जो लोगों में मेरे प्रति बनी हुई थी । मेरी कहानी की मुझे इतनी सारी क्षमता थी । अगर बाद में यह पता चले की मुझे आवश्यक क्षमता ही नहीं थी और में संघर्ष बना जीवन जीने के लिए अभिशप्त हो तो क्या होगा? किस्मत की बात देखिए कि उसी मोड पर डैडी के एक बहुत अमीर दोस्त ने मुझे कुछ सलाह दी । वे मेरे माता पिता के घर लडकों के साथ काश खेलने आए थे और उन्होंने गुजरते समय मुझे देख लिया । यह तीसरी बार था जब मैं अपने माता पिता के घर रहने आया था और मैं सबसे निचले दर्जे की जगह है यानी बेसमेंट में रह रहा था । मुझे लगता है कि डैडी ने मेरे दुख भरे जीवन के बारे में उनसे शिकायत की थी क्योंकि मुझे देखते समय उनकी आंखों में उसी तरह की सहानुभूति जैसी आम तौर पर अंतेयष्टि के समय शोक संतप्त परिवारों के लिए होती है । उन्होंने कहा, हार वहाँ मेरे शुरुआत भी वैसे ही थी जैसे कि तुम्हारी है । पूरी तरह तबाही । बहुत बढिया । मैंने सोचा इससे मुझे बहुत बेहतर महसूस हुआ । उन्हें मुझे बता देना चाहिए कि मैं व्यस्त हूँ । दीवार से उभरते पेंट को देखने में उन्होंने आगे कहा, लेकिन फिर मुझे कुछ सलाह मिली जिसने मेरी जिंदगी बदल दी और मैं तुम्हें भी वही सलाह देना चाहूँगा । वो नहीं । फिर से पिता पुत्र का भाषण आ गया । हालांकि यह है आदमी तो मेरा पिता भी नहीं है । आखिरकार उन्होंने कहा, हार्वर्ड अगर तुम अपनी इच्छा के अनुसार सफल नहीं हो पा रहे हो तो इसका मतलब सिर्फ यह है कि कोई ऐसी चीज है जो तुम नहीं जानते हो । उस वक्त में बहुत बेटी युवक ता । इसलिए मैं सोचता था की मैं हर चीज के बारे में बहुत कुछ जानता था । लेकिन अफसोस मेरा बैंक अकाउंट तो कुछ और ही कह रहा था तो आखिरकार मैं सुनने लगा । उन्होंने आगे कहा, क्या तुम जानते हो कि ज्यादातर अमीर लोग काफी हद तक एक जैसे तरीके से सोचते हैं? मैंने कहा नहीं मैंने दरअसल इस बारे में कभी सोचा ही नहीं । इस पर उन्होंने जवाब दिया, यह सटीक विज्ञान तो नहीं है लेकिन ज्यादातर मामलों में अमीर लोग एक खास तरीके से सोचते हैं और गरीब लोगों बिल्कुल अलग तरीके से सोचते हैं । सोचने के इन तरिकों से उनके काम तय होते हैं और कामों से परिणामतः होते हैं । उन्होंने आगे कहा, अगर तुम उसी तरह हो तो जिस तरह अमीर लोग सोचते हैं और वही काम करो जो अमीर लोग करते हैं तो क्या तो मैं यकीन है कि तुम भी अमीर बन सकते हो । मुझे याद है कि मैंने कमजोर आत्मविश्वास के साथ जवाब दिया था । लगता तो है, ऐसा ही है । इसके बाद उन्होंने कहा, तो तो मैं बस अमीर लोगों की सोचने के तरीके की नकल करनी है । मैंने संदेह से पूछा तो इस वक्त आप क्या सोच रहे हैं? उनका जवाब था, मैं सोच रहा हूँ कि अमीर लोग अपने वादे निभाते हैं और मुझे इस वक्त तुम्हारे डेरी से किया वादा निभाना है । वे लोग मेरा इंतजार कर रहे हैं, मिलते हैं । हालांकि वे तो बाहर चले गए लेकिन उनकी बातें मेरे दिल में उतर गई । दूसरी कोई भी चीज मेरे जीवन में काम नहीं कर रही थी । इसलिए मैंने सोचा कि कुछ नया करने में क्या हर्ज है? मैं पूरे दिल से अमीर लोगों और उनके सोचने के तरीको के अध्ययन में जुट गया । मस्तिष्क की अंदरूनी कार्यविधि के बारे में मैं जितना सीख सकता था, मैंने सीखा । बहरहाल, मैंने अपना ध्यान मूलता, धन और सफलता के विज्ञान पर केंद्रित किया । मैंने पाया कि यह सब था । अमीर लोग दरअसल गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों से अलग तरीके से सोचते हैं । अंततः है । मेरी समझ में आने लगा कि मेरे विचार मुझे किस तरह दौलत से दूर रख रहे हैं । इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि मैंने कई सशक्त तकनीकें और रणनीतियां सीखी, जिनका इस्तेमाल करके मैंने अपने दिमाग को दोबारा कंडीशनिंग किया, ताकि मैं अमीर लोगों की तरह सोच सकूँ । आखिरकार मैंने कहा, इस बारे में उठा पटक बहुत हो गई । अब जरा इसे परख लिया जाए । मैंने एक ओर नया बिजनेस शुरू करने का फैसला किया, क्योंकि सेहत और व्यायाम में मेरी खासी दिलचस् हुई थी । इसलिए मैंने उत्तर अमेरिका में एक रिटेल फिटनेस स्टोर खोला, जो वहाँ खुले ऐसे शुरूआती स्टोर्स में से एक था । मेरे पास नाममात्र के भी पैसे नहीं थे, इसलिए बिजनेस शुरू करने के लिए मुझे अपने वीजा कार्ड से दो हजार डॉलर उधार लेने पडे । मैंने अमीर लोगों की मॉडलिंग से जो सीखा था, मैं उसका इस्तेमाल करने लगा । मैं उनकी कारोबारी और चिंतन दोनों तरह की रणनीतियों पर अमल करने लगा । मैंने सबसे पहला काम या है क्या की? मैं अपनी सफलता के लिए समर्पित हो गया और जीतने के लिए खेलने लगा । मैंने कसम खाई कि मैं इस काम पर पूरा ध्यान केंद्रित करूंगा और इस बिजनेस को छोडने के बारे में तब तक सोचूंगा भी नहीं, जब तक कि मैं मिलेनियर या इससे ज्यादा नहीं बन जाऊँ । यह मेरी पुरानी कोशिशों से बिल्कुल ही अलग नजरिया था, क्योंकि पहले मेरी सोच हमेशा अल्पकालीन रहती थी । इसलिए मेरा ध्यान अच्छे अवसरों या मुश्किलों के सामने आने पर भटक जाता था । जब भी मेरे मन में नकारात्मक या हानिकारक विचार आए, मैं उन्हें चुनौती देने लगा । पहले मैं यह मानता था कि मेरे मस्तिष्क की कही हर बात सच है । बहरहाल, अब मैं कई तरह से यह जान चुका था कि दरअसल मेरा मस्जिद कही सफलता की राह में मेरी सबसे बडी बाधा था । मैंने फैसला किया कि मैं ऐसे विचारों को अपने मस्तिष्क में कुछ ने ही नहीं दूंगा, जो मुझे दौलत के सपने साकार करने की शक्ति नहीं देते हैं । मैंने हर उस सिद्धांत का इस्तेमाल किया जो आप इस पुस्तक में सीखने जा रहे हैं । क्या उससे कम बना? वो बिल्कुल बना और क्या खूब बना? वह बिजनेस इतना सफल हुआ कि सिर्फ ढाई साल में मैंने दस स्टोर खोल डाले । फिर मैंने फोरच्यून पांच सौ सूची में शामिल एक कंपनी को अपनी कंपनी के आदेश या सोलह लाख डॉलर में देश दिए । उसके बाद मैं खुशगवार गर्म मौसम वाले सेन डिएगो में रहने लगा । अपनी रणनीतियों को परिष्कृत करने के लिए मैंने दो साल की छुट्टी ली और फिर व्यक्तिगत व्यावसायिक परामर्श देने के बिजनेस में उतर गया । मुझे लगता है कि मेरे परामर्शक काफी लोग प्रभावित हुए होंगे, क्योंकि वे अपने साथ दोस्तों, पार्टनर्स और सहयोगियों को भी ला रहे थे । जल्दी ही मैं एक साथ दस और कई बार तो बीस लोगों को कोचिंग देने लगा । मेरे एक क्लाइंट ने मुझे सुझाव दिया की मैं एक स्कूल क्यों नहीं खोल? नेता मुझे यह विचार बहुत अच्छा लगा तो मैंने उस पर अमल कर डाला । मैंने दस ट्रीट स्मार्ट बिजनेस स्कूल की स्थापना कि और उत्तर अमेरिका के हजारों लोगों को तीव्रगति से सफलता पाने वाली स्टेट स्मार्ट व्यवसायिकरण ने क्या सिखाने लगा? जब मैं अपने सेमिनारों में जाने के लिए महाद्वीप में हर तरफ यात्राएं कर रहा था तो मैंने एक अजीब बात पर बोर किया । दो लोग एक ही कमरे में पास पास बैठकर बिल्कुल एक समान सिधांत और रणनीतियां सीख सकते हैं, लेकिन उनमें से उन का इस्तेमाल करके रॉकेट की तरह सफलता के आकाश में पहुंच जाएगा । आपको क्या लगता है उसके ठीक पास बैठे व्यक्ति के साथ क्या होगा? जवाब है ज्यादा कुछ नहीं । तब मेरे सामने यह स्पष्ट हो गया कि बने ही आपके पास दुनिया के सबसे महान ओजार हो । लेकिन अगर आपके टूलबॉक्स में छोटा सा भी छह रहे तो आप समस्या में है । फिर क्या था, मैंने धन और सफलता के अंदरूनी खेल पर एक कार्यक्रम तैयार किया, जिसका नाम है मैं मिलेनियर माइंड इंटेंसिव । जब मैंने अंदरूनी खेल को बाहरी खेल से मिला दिया तो लगभग हर व्यक्ति के परिणाम आसमान छूने लगे । इस पुस्तक में आपकी यही सब सिखने वाले हैं । पैसे के अंदरूनी खेल में इतने माहिर कैसे बने? ताकि आप दौलत बनाने के खेल में जीत सकें । यानी दौलतमंद बनने के लिए दोनों मन सोच कैसे पैदा की जाए? लोग अक्सर मुझसे पूछते हैं कि क्या मेरी सवाल था सिर्फ एक बार का कमाल थी या यह लगातार जारी रहने वाला सिलसिला है । मैंने इसे इस तरह से कहना शुरू किया, मैं इसे इस तरह से कहना चाहता हूँ, मैं तो सिद्धांत सिखाता हूँ । उन का प्रयोग करके मैंने करोडों डॉलर कमाई है और अब मैं करोडपति बन चुका हूँ । मेरे लगभग सारे निवेश और व्यवसाय आसमान छू रहे हैं । कुछ लोग मुझसे कहते हैं कि मैं पारस पत्थर हूँ और मैं जिस चीज में भी हाथ डालता हूँ, वह सोने में बदल जाती है । वे सही कहते हैं, लेकिन शायद उन्हें यह है । सास नहीं है कि मेरे पास होने का सीधा सा मतलब यह है कि मेरे दिमाग में सफलता के लिए निर्धारित वित्तीय ब्लूप्रिंट है । जब आप इन सिद्धांतों को जान जाएंगे और इन पर अमल करने लगेंगे तो यही चमत्कारी ब्लूप्रिंट आपके पास भी होगा । हमारे मिलेनियर माइंड इंटेंसिव सेमिनार की शुरुआत में ही मैं सहभागियों से पूछता हूँ, आप में से कितने लोग यहाँ सीखने आए हैं? यह थोडा चालाकी बना सवाल है, क्योंकि जैसा लेखक जॉन्स बिलिंग ने कहा है, हम जो नहीं जानते हैं, वहाँ हमें सफल होने से नहीं रोकता है । इसके बजाय हम जो जानते हैं, वहाँ अगर गलत हो तो हमारी सबसे बडी बाधा होता है । यह पुस्तक सीखने के बारे में उतनी नहीं है, जितनी की बोलने के बारे में है । आपके लिए यह जान लेना अनिवार्य है कि सोचने और काम करने के पुराने तरीके आपको ठीक वहाँ तक ले आए हैं । जहां आप इस वक्त है । अगर आप वाकई अमीर ओर सुखी है तो बहुत अच्छी बात है, लेकिन अगर आप नहीं है तो मैं आपसे ऐसी कुछ संभावनाओं पर विचार करने का आग्रह करता हूँ, जो आपके टूलबॉक्स में सही तरीके से फिट नहीं हो रही हो । हो सकता है कि आप वर्तमान में उन विचारों को सही या अपने लिए उचित मानते हूँ, लेकिन शायद वे ऐसे नए हो । हालांकि मैं सुझाव देता हूँ कि आप मेरे एक भी शब्द पर भरोसा मत करना और चाहता हूँ कि आप अपने जीवन में इन अवधारणाओं को पढें । लेकिन मैं आपसे इतना जरूर कहना चाहता हूँ कि आप इस पुस्तक के विचारों पर भरोसा करें, इसलिए नहीं, क्योंकि आप मुझे व्यक्तिगत रूप से जानते हैं, क्योंकि हजारों लोगों ने इस पुस्तक में बताए गए सिद्धांतों पर चलकर अपनी जिंदगी बदल डाली है । विश्वास की बात पर मुझे अपनी एक पसंदीदा कहानी याद आती है । यह है उस व्यक्ति के बारे में है, जो एक चट्टान के किनारे पर चल रहा था । अचानक उसका संतुलन गडबडा गया और वह फिसलकर गिर गया । सौभाग्य से उसने दिमाग का इस्तेमाल करके चट्टान के किनारे को पकड लिया तो और जान बचाने के लिए छोडने लगा । वहाँ लटका रहा, लटका रहा और आखिरकार चिल्लाया क्या? ऊपर कोई है जो मेरी मदद कर सकता हूँ? कोई जवाब नहीं आया । वहाँ लगातार चिल्लाता रहा, क्या कोई ऊपर है जो मेरी मदद कर सकता हूँ? अंततः एक बहुत तेज बोलती आवाज सुनाई दी । मैं भगवान हूं, मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ । बस हाथ छोड दो और मुझ पर भरोसा करो । यह सुनने के बाद हुए है । आदमी चिल्लाया, क्या ऊपर कोई ओर भी है जो मेरी मदद कर सकता हूँ? सबका बहुत आसान है । अगर आप जीवन में ज्यादा ऊंचे स्तर पर पहुंचना चाहते हैं तो आपको अपने सोचने के कुछ पुराने तरीको को छोडना होगा और नए तरीको को अपनाना होगा । परिणाम अंततः अपने आप सामने आ जाएंगे और आपको हैरान कर देंगे । धन्यवाद हिंदी ओडियो बुक तों आप का दिन शुभ हो