Audio Book | 189mins
अम्मा: जयललिता - 01 (अम्मा)
अम्मा: जयललिता - 02 (तन्हा बचपन)
अम्मा: जयललिता - 03 (एक सितारे का जन्म)
अम्मा: जयललिता - 04 (उनके नायक एमजीआर)
अम्मा: जयललिता - 05 (राजनीतिक शुरुआत)
अम्मा: जयललिता - 06 (खलबली)
अम्मा: जयललिता - 07 (सज़ा)
अम्मा: जयललिता - 08 (एमजीआर के बाद)
अम्मा: जयललिता - 09 (ताकत पर ताकत)
अम्मा: जयललिता - 10 (इतिहास का निर्माण)
अम्मा: जयललिता - 11 (मैडम मुख्यमंत्री)
अम्मा: जयललिता - 12 (उसे सारे राज पता थे)
अम्मा: जयललिता - 13 (दीवार पर लिखी इबारत)
अम्मा: जयललिता - 14 (आलीशान शादी)
अम्मा: जयललिता - 15 (सियासी बदला)
अम्मा: जयललिता - 16 (घायल बाघिन)
अम्मा: जयललिता - 17 (सियासी बदला)
अम्मा: जयललिता - 18 (सितारों पर जादू)
अम्मा: जयललिता - 19 (देवताओं की पूजा)
अम्मा: जयललिता - 20 (प्रतिशोध)
अम्मा: जयललिता - 21 (वापसी)
अम्मा: जयललिता - 22 (पराजय, लेकिन पतन नहीं)
अम्मा: जयललिता - 23 (डीएमके का पलटवार)
अम्मा: जयललिता - 24 (अभी नहीं तो कभी नहीं)
अम्मा: जयललिता - 25 (ममतामयी मां)
अम्मा: जयललिता - 26 (क्या सितारे उनकी रक्षा करेंगे)
आप सुन रही है तो कॅश किताब का नाम है अम्मा जयललिता कैसे बनी एक फिल्मी सितारे से सियासत की सरकार जिसे लिखा है वासंती है आर जे मनीष की आवाज में कोई ऍम सुनेगी जो मन चाहे हम मुझे सिर्फ दो साल की थी जब उसके पिता चाहे राम का मृत शरीर घर लाया गया । बहक काली दुखद रात जयललिता की स्मृति में अब भी जीवन है और उनके उठापटक भरे जीवन के निराशा भरे पलों में सतह उन्हें परेशान किया है । असाधारण खूबसूरती और प्रतिभा से शुरू हुए जीवन को अचानक बीच भवन तरह तरह के तहत क्यों के बीच फेंका गया जिसमें अबोध बच्ची को फौलाद से बनी अम्मा में परिवर्तित कर दिया । पति की मौत के बाद जयराम की वृद्धा बेटा के पास अपने दो छोटे छोटे बच्चों पुत्र तब तो और पुत्री अमोल जयललिता को घर में सभी इसी नाम से बुलाते थे को लेकर अपने पिता के घर बेंगलुरु जाने के अलावा कोई चारा नहीं था । मूलरूप से तमिलनाडु में श्रीरंगम के ब्राह्मण रंगास्वामी अयंगर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में एक साधारण नौकरी पाने के बाद बेंगलुरु में रहने लगे थे । उनका परिवार आकर्षक चाहे मोहरे अत्यंत गोरे रंग के लिए भी जाना जाता था । उनकी तीन बेहद खूबसूरत बेटियां थी । मेरा काम हो जाये और पद्मा और एक पुत्र श्रीनिवासन एक आम परंपरागत रूढिवादी मध्यमवर्गीय ब्राह्मण परिवार था जिसमें हंगा स्वामी आयंगर और उनकी पत्नी कमा शर्मा रोज विधिपूर्वक पूजा पाठ किया करते थे । अपने बच्चों की परवरिश ठीक से करने की इच्छा । युवा और संदर्भ वेदा अपने पिता पर आए अतिरिक्त आर्थिक बोझ को कम करने के लिए आयकर कार्यालय में दिख सके ट्रियल काम करते लगी । हालांकि चलती ही उसे इस बात का एहसास हो गया कि अपनी सीमित ऐसे वह बच्चों की न्यूनतम जरूरतों को पूरा करने के अलावा और कुछ नहीं कर सकती है । उसी दौरान कन्नड फिल्मों के प्रति असर कैमराज अर्ज की बिना पर नजर पडी है । उसकी खूबसूरती से विस्मित हैं और उसे अपनी नई फिल्में उतारना चाहते थे । जब वो पिता के पिता की अनुमति लेने पहुंचे तो क्रोधित अयंगर ने उन्हें बैरंग वापस लौटा दिया । पिता की सबसे छोटी बहन पद्मा अभी कॉलेज में पढाई कर ही रही थी । दूसरी बहन अंबुजा विद्रोही टाइप की थी और बहन एयर होस्टेस बन चुकी थी और इसी के साथ अयान करने घोषित कर दिया कि उनके लिए उनकी दूसरी बेटी मर चुकी है । अंबुजा पर इसका कोई असर नहीं पडा । उसने फिल्मों में अभिनय करना शुरू कर दिया और अपना नाम बदलकर विद्यावती कर लिया । तहत चेन्नई में बस गए हम भुजाने बेटा से चेन्नई अगर उसके साथ रहने का आग्रह किया ताकि उसके बच्चे बेहतर स्कूल में पढ सकें । यह एक ऐसा प्रस्ताव था जिससे फिर ठुकरा नहीं सकती थी और इस तरह ठीक है और उसके बच्चे अंबुजा के घर आकर रहने लगे । बच्चों को स्कूल में दाखिला करा दिया गया लेकिन विद्यावती से मिलने आने वाले प्रोड्यूसरों को लगा कि वेदा भी देखने में किस फिल्म स्टार से कम नहीं है । उन्होंने उसे अभिनेत्री बनने के लिए प्रेरित किया और अपनी बहन की आरामदेह जिंदगी को देखते हुए नेता ने फैसला कर दिया कि अपने बच्चों को अच्छी परवरिश देने लायक संपन्न बनने के खाते हैं । उसके पास एकमात्र यही रास्ता है केंद्र राज्य । उसने एक बार फिर उसे एक भूमिका थी और जल्दी ही पेदा जिसका नया नाम संध्या था, एक व्यस्त स्टार बन चुकी थी । जम्मू के जीवन का आशांत और उथलपुथल बारा एक नया चरण शुरू होने को था हूँ ।
Producer
Sound Engineer